नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलेक्टोरल बांड को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने तमिलनाडु के एक टीवी चैनल में अपने इंटरव्यू के दौरान इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया गया कि क्या चुनावी बांड की योजना के खारिज हो जाने से आपकी सरकार को झटका लगा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे अपनी सरकार के लिए झटका मानने से इंकार कर दिया। मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में जो पैसे मिलते थे उसका कोई हिसाब नहीं होता था। पीएम ने रिपोर्टर से कहा कि आप बताये कि ऐसा क्या हुआ है जिससे यह माना जाये कि मेरी सरकार को झटका लगा है। मोदी ने कहा कि इसको लेकर वे आज जितना नाच रहे हैं वो आगे जरूर पछताने वाले हैं।
कोई भी व्यवस्था पूरी तरह ठीक नहीं होती है, लेकिन उसको सुधारा जा सकता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 से पहले के चुनावों में मिलने वाले चंदे पर सवाल उठाते कहा कि उस समय पैसा राजनीतिक दलों के पास आया तो होगा। ऐसी कौन से एजेंसी है जो बता पाए कि उस समय पैसा कहां से आया और कहां गया? प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मोदी ने चुनावी बांड बनाया, जिसके कारण आपसब को पता चल पा रहा है कि बांड किसने खरीदा और किस पार्टी को चंदा दिया। इसी के कारण पैसो का हिसाब किताब साफ साफ सबके सामने है। मोदी ने इसपर खुलकर बात करते हुए कहा कि कोई भी व्यवस्था पूरी तरह ठीक नहीं होती है, लेकिन उसको सुधारा जा सकता है।
क्या होता था चुनावी बांड( इलेक्टोरल बॉन्ड)?
चुनावी बांड एक ऐसा बांड होता था, जिसके माध्यम से राजनीतिक दलों तक चंदा पहुंचता था। इस बांड को एक तरह का वचन पत्र भी कह सकते हैं। कोई भी व्यक्ति और संस्था या कंपनी आदि अपनी पसंदीदा पॉलिटिकल पार्टी को गुमनाम तरीके से चंदा दे सकती थी। इस बांड को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की चुनिंदा शाखाओं से खरीदा जाता था। किसी का भी नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता था। जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का साफ उल्लंघन हैं। इसलिए इस चुनावी बांड को सुप्रीम कोर्ट ने नकार दिया। जिसके बाद विपक्ष ने इसको लेकर मोदी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
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