नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। देश में पहली बार लोकसभा चुनाव 1951 में हुआ था। आज की तरह उस समय न तो सुविधाएं उपलब्ध थीं और न ही आज की तरह पढ़ी-लिखी जनता थी। क्या आपको पता है स्वतंत्र भारत में पहली बार लोकसभा चुनाव कराने के लिए पूरे 5 साल का समय लगा था। आजादी तो 1947 में मिल गई थी। लेकन चुनाव 1951 में हुआ।
लोकतंत्र का महापर्व
इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त 'सुकुमार सेन' थे। उन्हीं के नेतृत्व में भारत ने पहली बार "लोकतंत्र का महापर्व" मनाया। देश को जब ब्रिटिशरों से आजादी मिली थी तब देश का नेतृत्व कर रहे आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्राकारियों ने न तानाशाह को चुना और न ही राजओं के शासन को चुना। जिसको चुना वो है लोकतंत्र, इसके बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत का संविधान बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसकी प्रक्रिया जुलाई 1948 में शुरु हो गई थी। देश में 26 नवंबर, 1949 को संविधान पारित हुआ और 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया। इस दिन को हम तभी से "गणतंत्र दिवस" के रुप में भी मनाते हैं। उसके बाद चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरु हो गई।
ऐसे भारत में हुआ पहला लोकसभा चुनाव
भारत ने लोकतंत्र के पथ पर चलने का निर्णय तो कर लिया था लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं थी। ब्रिटिश ने कहा कि "भारत में लोकतंत्र कभी जीवित नहीं रह सकता। यहां के लोग ब्रिटेन के सहारे के बिना नहीं रह सकते। लोकतंत्र फैल हो जाएगा।" ब्रिटेन का ये कथन भारत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। उस समय पूरी दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुईं थीं। एक पुरानी संस्कृतिवाले और युवा देश में लोकसभा चुनाव कराना कोई आम बात नहीं थी। पहले सोचा गया कि 1950 में ही चुनाव कराते हैं लेकिन इस दौरान पता चला कि लाखों लोगों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल ही नहीं है। उस समय वोट देने के लिए यूनिवर्सल उम्र 21 साल थी तो उस हिसाब से लोगों के नाम की गिनती करने में चुनाव आयोग को लगभग 1 साल का समय लगा। साल 1951 में पहली बार लोकसभा चुनाव कराए गए। उसके बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पं जवाहरलाल नेहरु विराजे उन्होंने तभी से राजधानी दिल्ली से लाल किले से यूनियन जैक को अलविदा कहकर हमारे देश की आत्मा "तिरेंगे" को सलाम किया।
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