Liquor Policy Case: अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई पूरी, हाई कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा

Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली हाई कोर्ट में आबकारी घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सभी पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं।
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नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष बुधवार को दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सभी पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील सिंघवी ने रखी अपनी दलील

सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट को यह देखना होगा कि चुनाव में सभी पार्टियों को प्रचार करने का बराबर मौका मिले। यहां चुनाव में हिस्सा लेने से रोका जा रहा है और पार्टी को तोड़ने की कोशिश हो रही है। इस मामले में समय का मुद्दा बहुत गंभीर है। समय का मुद्दा यह सुनिश्चित करता है कि याचिकाकर्ता लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाएगा और उसकी पार्टी नष्ट हो जाएगी।

ईडी के पास गिरफ्तारी के लायक कोई सबूत नहीं- सिंघवी

सिंघवी ने कहा कि ईडी स्पष्ट रूप से बिना किसी पूछताछ, बयान आदि के गिरफ्तारी कर रही है। यह अनोखी बात है। केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग ही ईडी की मंशा पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त हैं, क्योंकि ईडी का पहला समन अक्टूबर में जारी किया गया था और केजरीवाल की गिरफ्तारी मार्च में की गई है। सिंघवी ने कहा कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 15 और 19 में दिए गए प्रावधानों पर यह गिरफ्तारी खरी नहीं उतरती। इसके अलावा ईडी के पास मनी लांड्रिंग कानून के तहत गिरफ्तारी के लायक कोई सबूत भी नहीं है। सिंघवी ने कहा कि पहले समन और गिरफ्तारी के बीच केजरीवाल का बयान दर्ज नहीं किया गया और बिना बयान को दर्ज किए इस केस में गिरफ्तारी की गई है।

ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत मौजूद नहीं- सिंघवी

सिंघवी ने कहा कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 के मुताबिक ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत मौजूद नहीं है। इसके अलावा धारा 19 के तहत न तो गिरफ्तारी का आधार है और न ही सबूत है। फिर भी आप केजरीवाल को दोषी मानकर चल रहे हैं। ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो केजरीवाल की गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है। सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तार करते वक्त केजरीवाल के घर पर उनका कोई बयान लेने की कोशिश नहीं हुई, जबकि ईडी को गिरफ्तार करने से पहले ऐसा करना चाहिए था।

आखिर केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों?- सिंघवी

सिंघवी ने कहा कि मनी लांड्रिंग कानून के तहत आसानी से जमानत नहीं मिल पाती है। इसलिए धारा 19 के तहत गिरफ्तारी दिखाई गई है लेकिन ईडी की टीम यह साबित नहीं कर पाई कि आखिर केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों की गई है। सिंघवी ने पूछा कि क्या केजरीवाल के भागने की संभावना थी। क्या उन्होंने डेढ़ साल में किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की। क्या उन्होंने पूछताछ से इनकार किया। यहां तक कि हमने ईडी के हर समन का विस्तार से जवाब दिया है। ईडी का अब कहना है कि उन्हें आगे चलकर मुख्यमंत्री की भूमिका का पता लगाना है। यह आज उनकी गिरफ्तारी का आधार कैसे हो गया।

यह जमानत की मांग पर दी जाने वाली दलीलें हैं न कि गिरफ्तारी रद्द करने की- एसवी राजू

ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने केजरीवाल की तरफ से दी गई दलील पर कहा कि लग रहा है कि यह जमानत की मांग पर दी जाने वाली दलीलें हैं न कि गिरफ्तारी रद्द करने की याचिका पर दी जाने वाली दलीलें हैं। राजू ने कहा कि केजरीवाल ने याचिका गिरफ्तारी को रद्द करने की मांग पर है लेकिन यह समझ नहीं आ रहा है कि इनके वकील बहस जमानत के लिए कर रहे हैं या मुकदमे को रद्द करने के लिए।

केजरीवाल ने रिमांड को चुनौती देने की आड़ में ज़मानत याचिका दायर की है

राजू ने कहा कि निचली अदालत में केजरीवाल खुद कह चुके हैं कि कोर्ट चाहे तो उन्हें रिमांड पर भेज दे लेकिन यहां पर वो ख़ुद रिमांड पर भेजे जाने के आदेश को चुनौती दे रहे हैं। केजरीवाल ने रिमांड को चुनौती देने की आड़ में ज़मानत याचिका दायर की है। उनकी यह याचिका कुछ और नहीं, बल्कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 से बचने के लिए ज़मानत याचिका है।

विजय नायर कैलाश गहलोत के दफ़्तर से काम कर रहा था

राजू ने कहा कि केजरीवाल के मामले में जांच अभी शुरुआती चरण में है लेकिन यहां इस तरह से तर्क दिए जा रहे हैं जैसे मामले मे जांच पूरी हो गई हो और मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो गई हो। उन्होंने कहा कि कैलाश गहलोत का घर और मुख्यमंत्री का दफ़्तर ठीक बगल में था और विजय नायर कैलाश गहलोत के दफ़्तर से काम कर रहा था। वह आसानी से उस घर में जा सकता था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने रिश्वत नहीं दी। उन सभी को लाइसेंस सरेंडर करने को कहा गया, जिससे रिश्वत देने वालों को सुविधा दी जा सके। राजू ने मामले इस मामले में कोई रिकवरी नहीं होने पर दलील देते हुए कहा कि उनका कहना है कि कोई पैसा नहीं मिला, जबकि सच ये है कि पैसा तो गोवा चुनाव में खर्च किया गया। उनका कहना है कि घोटाला हुआ है तो मेरे घर में कुछ मिलना चाहिए था जो कि नहीं मिला। जब आपने पैसा किसी और को दे दिया तो आपके घर से पैसा कहां से मिलेगा। राजू ने कहा कि केजरीवाल व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल हैं।

अगर लाश न मिले तो क्या कत्ल का मुकदमा नहीं चलता- राजू

राजू ने कहा कि अगर लाश न मिले तो क्या कत्ल का मुकदमा नहीं चलता। कई ऐसे मामलों में लोगों को सज़ा मिली है। मान लीजिए कि कोई राजनीतिक व्यक्ति चुनाव से दो दिन पहले हत्या कर देता है। क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। क्या उसकी गिरफ्तारी से बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। आप हत्या करते हैं और कहते हैं कि मुझे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होगा। राजू ने कहा कि आज केजरीवाल का रवैया यह है कि मैं एक संत हूं लेकिन वास्तव में उन्होंने जो किया है वह बहुत ही चतुराई से किया है। ईडी ने कड़ी मेहनत से इसके सबूत खोजे हैं।

आप मुख्यमंत्री हैं इसलिए आपको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता क्या?

उन्होंने कहा कि अगर एक सामान्य आदमी कोई अपराध करता तो उसे जेल जाना ही होगा लेकिन आप मुख्यमंत्री हैं इसलिए आपको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। आप देश को लूट लेंगे लेकिन कोई आपको छू नहीं सकता, क्योंकि आपका तर्क है कि चुनाव आ रहे हैं। ऐसे में आप कहते हैं कि आपकी गिरफ्तारी बुनियादी ढांचे का उल्लंघन करेगी। कोई बताए कि य़ह किस तरह का बुनियादी ढांचा है। केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने एक अप्रैल को केजरीवाल को 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था।

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