Article 370 Hearing: अनुच्छेद 370 पर दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, यहां पढ़ें किसने क्या दी दलीलें?

Supreme Court On Article 370: मुख्य वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि आर्टिकल 370 को छेड़ा नहीं जा सकता है। इसके जवाब में जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस आर्टिकल का सेक्शन (c) ऐसा नहीं कहता।
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नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर आज दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (2 अगस्त) से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर नियमित सुनवाई करने की बात कही थी। इस ममले की सुनवाई CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ कर रही है। जिसमें चीफ जस्टिस के अलावा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।

कपिल सिब्बल ने दी दलील

याचिकाकर्ताओं की तरफ से मुख्य वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि आर्टिकल 370 को छेड़ा नहीं जा सकता है। इसके जवाब में जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस आर्टिकल का सेक्शन (c) ऐसा नहीं कहता। इसके बाद सिब्बल ने कहा, 'मैं आपको दिखा सकता हूं कि आर्टिकल 370 स्थायी है। आपको बता दें आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट में 3 साल बाद सुनवाई हो रही है। इससे पहले, 2020 में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। तब अदालत ने कहा था कि हम मामला बड़ी संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं।

370 स्थायी आर्टिकल बन गया है- सिब्बल

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के मुख्य वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि एक प्रावधान (अनुच्छेद 370), जिसका विशेष रूप से संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के तौर पर उल्लेख किया गया था, वह 1957 में जम्मू कश्मीर संविधान सभा के कार्यकाल समाप्ति के बाद स्थायी कैसे हो सकता है? इस पर जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा था कि संविधान के अनुसार, जम्मू-कश्मीर से 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि आर्टिकल 370 के अनुसार संसद को सिर्फ राज्य सरकार के परामर्श से जम्मू-कश्मीर के लिए कानून बनाना तय है। 370 को निरस्त करने की शक्ति हमेशा जम्मू-कश्मीर विधायिका के पास ही होती है। फिर सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पहले 370 अस्थायी था, लेकिन जब 1950 में संविधान सभा भंग हुई, तो ये अपने आप स्थायी आर्टिकल बन गया। अगर इसे हटाना है तो संविधान सभा की इजाजत चाहिए होगी, लेकिन वो अब है ही नहीं तो ऐसे में इसको हटाया नहीं जा सकता है।

डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सिब्बल से किया सवाल

उसके बाद चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सिब्बल से पूछा, 'क्या होता है जब संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो जाता है? किसी भी संविधान सभा का कार्यकाल अनिश्चित नहीं हो सकता है। अनुच्छेद 370 के खंड (3) का प्रावधान राज्य की संविधान सभा की सिफारिश को संदर्भित करता है, और यह कहता है कि राष्ट्रपति के अधिसूचना जारी किए जाने से पहले संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक है, लेकिन सवाल यह है कि जब संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा तो क्या होगा? सिब्बल ने इसके जवाब में कहा कि यह बिल्कुल उनका बिंदु है और उनका पूरा मामला इस बारे में है कि राष्ट्रपति संविधान सभा की सिफारिश के बिना अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं कर सकते। जस्टिस गवई ने हस्तक्षेप किया और वरिष्ठ अधिवक्ता से पूछा कि क्या यह तर्क दिया जा रहा है कि 1957 के बाद अनुच्छेद 370 के बारे में कुछ नहीं किया जा सकता था, जब जम्मू कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो गया था। इस पर सिब्बल ने कहा कि कोर्ट वर्तमान में एक संवैधानिक प्रावधान की व्याख्या कर रही है और वह यहां उस प्रक्रिया को वैध बनाने के लिए नहीं है जो संविधान के लिए अज्ञात है।

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