Farmers Protest: किसानों के दिल्ली कूच को लेकर IGI एयरपोर्ट ने जारी की यात्रियों के लिए एडवाइजरी, पढ़ें खबर
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की तैयारियां चाक चौबंद हैं। वहीं दिल्ली एयरपोर्ट ने भी अपने यात्रियों को दिल्ली के ट्रैफिक से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। किसान आंदोलन को देखते हुए दिल्ली एयरपोर्ट ने कहा है कि दिल्ली की सीमाओं में आज से शुरू किसान आंदोलन के कारण ट्रैफिक पूरी तरह प्रभावित रहेगा, इसलिए दिल्ली एयरपोर्ट आने के लिए जारी एडवाइजरी को ध्यान से पढ़ें।
समय पर एयरपोर्ट पहुंचने के लिए दिल्ली मेट्रो का प्रयोग करें
दिल्ली एयरपोर्ट ने कहा कि समय पर एयरपोर्ट पहुंचने के लिए दिल्ली मेट्रो का प्रयोग करें।वाणिज्यिक वाहनों के लिए यातायात प्रतिबंध और परिवर्तन 12 फरवरी से लागू हो चुके हैं।दिल्ली मेट्रो समय से यात्रियों को एयरपोर्ट पहुंचाने के लिए हमेशा की तरह अपनी सेवा में तैयार है। यात्रीगण जो एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 (टी1) के लिए जाना चाहते हैं, वो दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन और टर्मिनल 3 (टी3) के लिए एयरपोर्ट मेट्रो का उपयोग कर सकते हैं। दिल्ली एयरपोर्ट ने एडवाइजरी जारी करके कहा है कि यात्रीगण दिल्ली मेट्रो का उपयोग करें।
दिल्ली पुलिस ने देश की राजधानी को छावनी में तब्दील कर दिया है
दिल्ली पुलिस ने देश की राजधानी को छावनी में तब्दील कर दिया है। दिल्ली में सोमवार से ही 30 दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी गयी है। कुंडली-सिंघु, टीकरी और गाजीपुर समेत अन्य अभी बॉर्डरों पर किलेबंदी करा दी गई है। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली को पूर्व के किसान आंदोलन से हुई समस्याओं से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है। सरकार का कहना है कि वे किसानों की मांगो को पूरा करने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं।
किसानों ने केंद्रीयमंत्री पीयूष गोयल व अर्जुन मुंडा के साथ बातचीत की। रात करीब 12 बजे किसान नेता सरवण सिंह पंधेर बैठक बीच में छोड़कर बाहर आ गए। उन्होंने सुबह पंजाब-हरियाणा के किसानों को शंभू, खनौरी और डबवाली बार्डर पर एकत्र होने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर चर्चा हुई। सरकार किसानों की मांगों पर गंभीर नहीं है। किसान टकराव नहीं चाहते लेकिन सरकार के मन में खोट है।
बैठक के बाद केंद्रीयमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार बातचीत के माध्यम से सभी मसलों का हल करना चाहती है। किसान संगठनों के साथ बैठक में ज्यादातर विषयों पर सहमति तक बात पहुंची। कई बिंदु ऐसे हैं जिनके स्थाई समाधान के लिए कमेटी बनाकर काम किया जाना जरूरी है। किसान कुछ मामलों के त्वरित हल चाहते हैं। सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है।
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