नई दिल्ली, हि.स.। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में आरोप तय करने को लेकर सुनवाई टाल दी है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 22 दिसंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया। आज सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत और आरोपित अशोक गहलोत पेश नहीं हुए। दोनों ने आज कोर्ट में पेशी से छूट की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर लिया।
अशोक गहलोत के खिलाफ आरोप तय करने के लिए तथ्य पर्याप्त
उल्लेखनीय है कि सेशंस कोर्ट ने 13 दिसंबर को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट से अशोक गहलोत को जारी समन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। 21 नवंबर को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोप तय करने में दोनों पक्षों की आंशिक दलीलें सुनी थीं। सुनवाई के दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने कहा था कि अशोक गहलोत के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त तथ्य हैं।
गहलोत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ जो भी बोला है वो सत्य बोला
16 अक्टूबर को अशोक गहलोत की ओर से पेश वकील रमेश गुप्ता ने हाई कोर्ट में लंबित केस से जुड़े दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने की मांग की थी। रमेश गुप्ता ने कहा था कि अशोक गहलोत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ जो भी बोला है वो सत्य बोला है। उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत से एफआईआर नंबर 32/19 में पूछताछ की गई थी। उन्होंने कहा था कि जो तथ्य हैं उससे साफ है कि गजेंद्र सिंह शेखावत आरोपित हैं और उसकी जांच स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) कर रही है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दी सफाई
19 सितंबर को कोर्ट ने अशोक गहलोत को बरी करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने 6 जुलाई को बतौर आरोपित अशोक गहलोत को समन जारी किया था। दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट दाखिल की थी।
इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से उनका कोई संबंध नहीं है। शेखावत ने कहा था कि जांच एजेंसियों ने उन्हें आरोपित नहीं माना, उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए।
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