नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। भाजपा ने ही परिवारवाद का मुद्दा उठाया था, अब सियासी दलों के परिवार के कलह का फायदा भी भाजपा को मिलता दिख रहा है। मंगलवार को दो सियासी परिवारों का कलह सबके सामने आया।
इन परिवारों में कलह किसी रणनीति के कारण है?
दरअसल केंद्रीय मंत्री और LJP नेता पशुपति पारस ने NDA में एक भी सीट न मिलने के कारण मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। उनकी नाराजगी का कारण एनडीए में सीट न मिलना और LJP नेता चिराग गुट को NDA द्वारा महत्व देना बताया जा रहा है। वहीं दूसरी खबर झारखंड की राजधानी रांची से आ रही है। यहां हेमंत सोरेन के परिवार में कलह की खबर खुलकर सामने आ रही है। दरअसल पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने झाऱखंड मुक्ति मोर्चा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। सीता सोरेन ने बीजेपी को ज्वाइन कर लिया है। इन दो परिवारों के अतिरिक्त महाराष्ट्र ठाकरे और पवार परिवार तथा बंगाल के बनर्जी परिवार का कलह भी किसी से छुपा नहीं है। इस खबर में इन परिवारों के कलह का फायद किसको मिल सकता है के सवाल को खोजने की कोशिश की जाएगी और यह भी जानने की कोशिश की जाएगी कि इन परिवारों में कलह किसी रणनीति के कारण है?
पशुपति पारस को हलके में आंकना बिलकुल भी ठीक नहीं है
पशुपति पारस को हलके में आंकना बिलकुल भी ठीक नहीं है। राम विलास पासवान जब तक जीवित थे, वह खुद पार्टी का केंद्रीय कमान संभालते थे और पशुपति को प्रदेश की कमान सौंपते थे। यानि राम विलास पासवान LJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पशुपति प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे। राम विलास पासवान ने अपनी बिहार में पकड़ बनाये रखने के लिए पशुपति को ये कमान सौंपी हुई थी। यहां तक कि राम विलास पासवान पशुपति को गृह क्षेत्र अलौली से विधायक बनाते थे। जिस तरह से अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल को हलके में आंका था, उसका नुकसान समाजवादी पार्टी अभी भी उठा रही है। अब अगर पशुपति को महागठबंधन हाजीपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का मौका दे देती है तो इससे चिराग पासवान की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।
सोरेन परिवार के कलह का सीधा नुकसान इंडिया गठबंधन को होगा
सोरेन परिवार के मुखिया पूर्व सीएम शिबू सोरेन हैं। उनके बेटे दुर्गा सोरेन ने झारखंड आंदोलन में उनका कदम से कदम मिलाकर साथ दिया था। दुर्गा सोरेन राजनीति में थे और अपने पिता का साथ देते थे। उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी थी। दुर्गा सोरेन के बाद उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी उनकी पत्नी सीता सोरेन थी। लेकिन शिबू सोरेन ने राजनीति से दूर रहने वाले उनके दूसरे बेटे हेमंत सोरेन को झारखंड की राजनीति की कमान सौंप डाली। लेकिन सीता सोरेन राजनीति में अपनी समाज सेवा करती रही। हेमंत सोरेन की नाराजगी मीडिया में उस समय आयी थी जब वह चंपई सोरेन को सीएम बनाने से बिलकुल भी खुश नहीं थी और उन्होंने इसका विरोध भी किया था। लेकिन उस समय किसी तरह से सीता सोरेन को समझा दिया गया था। अब उनकी नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। उन्होंने JMM के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। अब जब सीता सोरेन ने भाजपा ज्वाइन कर ली है। इससे साफ है कि वह लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाएंगी। इसका सीधा नुकसान अब इंडिया गठबंधन को होता दिख रहा है।
ठाकरे, पवार और ममता बनर्जी परिवार के कलह का सीधा फायदा भाजपा को
मुंबई में ठाकरे परिवार का कलह किसी से छुपा नहीं है। जहां ठाकरे परिवार के बीच कलह होने के कारण राज ठाकरे ने अपनी अलग राह पकड़ ली थी और MNS पार्टी बना डाली थी। जिसके राज ठाकरे मुखिया हैं। अगर राज ठाकरे NDA में शामिल हो जाते हैं तो उद्धव ठाकरे की पार्टी को बड़ा नुकसान पंहुचा सकते हैं। यानि इंडिया गठबंधन को सीधा सीधा बड़ा नुकसान हो सकता है। वहीं पवार परिवार का कलह भी किसी से छुपा नहीं है। इनके कलह का भी सीधा फायदा NDA को मिलता दिख रहा है। वहीं बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भाई से नाराज हैं और उनसे सारे रिश्ते तोड़ने की बात कह डाली है। जिसके बाद उनके भाई ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही है। इस कलह का फायदा भी भाजपा को मिल सकता है।
अन्य खबरों के लिए क्लिक करें:- www.raftaar.in