नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 12 मार्च को SBI ने चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड जमा कर दिया है। आज SBI ने कोर्ट में एफिडएविट जमा कराया है। कोर्ट ने 11 मार्च को विवादास्पद चुनावी बॉन्ड जमा करने का आदेश दिया था। 15 मार्च तक चुनाव आयोग अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इस जानकारी को पब्लिश करेगा।
हलफनामे में क्या कहा?
SBI ने अपने हलफनामे में 15 फरवरी 2024 तक खरीदे गए और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड का विवरण साझा किया है। SBI के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा द्वारा दायर SBI हलफनामे में कहा गया है कि उन्होंने भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड के नकदीकरण की तारीख, योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के नाम और बांड के मूल्यवर्ग जैसे विवरण भी प्रस्तुत किए हैं।
2019 से अबतक इतने बॉन्ड का निकला इतिहास
हलफनामे में कहा गया है कि 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक 3346 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए और 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 18, 872 इलेक्टोरल खरीदे गए। हलफनामे में कहा गया है कि कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए, जिनमें से 22,030 इलेक्टोरल बॉन्ड कैश कराए गए। स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा जो इलेक्टोरल बॉन्ड इन कैश नहीं किए गए, उन्हें प्रधानंमत्री रिलीफ फंड में जमा कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 11 मार्च को इलेक्टोरल बांड की जानकारी 30 जून तक बढ़ाने की स्टेट बैंक की याचिका को खारिज कर दी थी और स्टेट बैंक को 12 मार्च तक जानकारी देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वो ये सूचना 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे।
चुनाव आयोग को मिला SC का ये आदेश
लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने केंद्र सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। जो गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की अनुमति देता था। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने 15 मार्च तक चुनाव आयोग को सभी दानदाताओं और उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं के बारे में खुलासा करने का निर्देश दिया है।
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