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ये हैं Electoral Bond के सबसे बड़े खरीदार, अकेले फ्यूचर गेमिंग ने खरीदे 1,368 करोड़ के बॉन्ड, जानें डिटेल

New Delhi: चुनावी बॉन्ड खरीदने में फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज कंपनी का नाम सबसे उपर आया है। जिसने 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं।

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज कंपनी ने सबसे अधिक चुनावी बॉन्ड की खरीददारी की है। गुरुवार को चुनाव आयोग द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेस के निदेशक लॉटरी मैग्नेट सैंटियागो मार्टिन हैं जिन्होंने 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। अबकर की लिस्ट में इनकी नाम टॉप पर है।

इन कंपनियों ने दिया दान

कोयंबटूर स्थित फ्यूचर गेमिंग भारत की सबसे बड़ी लॉटरी कंपनियों में से एक है और इसके संस्थापक सैंटियागो मार्टिन हैं। मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 966 करोड़ रुपये का दान किया है। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है। क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ने 409 करोड़ रुपये का दान दिया है। हल्दिया एनर्जी लिमिटेड ने 377 करोड़ रुपये का दान दिया। तो वहीं वेदांता लिमिटेड ने 375.65 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल लिमिटेड 198 करोड़ रुपये दान में दिए।

इन पार्टियों का नाम आया सामने

अधिकांश राजनीतिक दल इस योजना के लाभार्थी रहे हैं। इसमें BJP भी शामिल है। इसके अलावा कांग्रेस, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK), TMC, TDP, BRS, शिव सेना, YSR कांग्रेस, RJD, BJD, आम आदमी पार्टी और जन सेना पार्टी शामिल हैं।

इन दोनों ने कपंनियों ने दिया सबसे अधिक दान

इससे पहले गुरुवार को चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड पर डेटा अपलोड किया था। जैसा कि SBI ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड राजनीतिक क्षेत्र में शीर्ष दानदाताओं में शामिल हैं।

इन कंपनियों का नाम भी आया सामने

इन आंकड़ों के मुताबिक दानदाताओं में फिनोलेक्स केबल्स लिमिटेड, लक्ष्मी निवास मित्तल, एडलवाइस हाउसिंग फाइनेंस शामिल हैं। इनके आलवा जीएचसीएल लिमिटेड, जिंदल पॉली फिल्म्स लिमिटेड, आईटीसी लिमिटेड और वेदांता लिमिटेड, ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड पीआर, पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड, मुथूट फाइनेंस लिमिटेड, पेगासस प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड, बजाज फाइनेंस लिमिटेड, भारती एयरटेल लिमिटेड, अपोलो टायर्स लिमिटेड और स्पाइसजेट लिमिटेड।

देश की अधिकतक कंपनियों ने दिया दान

आंकड़ों के मुताबिक, जेके सीमेंट लिमिटेड, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड, एवन साइकिल्स लिमिटेड, ज़ाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड, सिप्ला लिमिटेड, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड, मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड, क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्री लिमिटेड, वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, केवेंटर फूड पार्क्स लिमिटेड, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, बीजी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, रूंगटा संस प्राइवेट लिमिटेड, टोरेंट पावर लिमिटेड भी दानदाताओं में शामिल है। पोल पैनल ने एक प्रेस नोट जारी किया जिसमें वह लिंक दिया गया जिस पर SBI द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा तक पहुंचा जा सकता है।

SBI ने चुनावी बॉन्ड का डेटा सौंपा ECI को

पोल पैनल ने SBI द्वारा पेश किए गए चुनावी बांड की रिपोर्ट को दो भागों में अपलोड किया। पहले भाग में चुनावी बांड खरीदने वाले का नाम, तारीख और मूल्यवर्ग शामिल है। दूसरी सूची में नकदीकरण की तारीख, राजनीतिक दल का नाम और संप्रदाय है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, SBI ने चुनावी बॉन्ड से संबंधित डेटा प्रदान कर दिया है।

चुनावी बांड योजना SC ने की रद्द

SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक की अवधि के दौरान कुल 22,217 बांड खरीदे गए। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई की 5 न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने सर्वसम्मति से मोदी सरकार लाई गई चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया है। इस योजना में दान देने वाले के नाम को गुप्त रखा गया था।

क्या है चुनावी बॉन्ड?

चुनावी बॉन्ड एक तरह का ऐसा पेपर था जिसे खरीदा जा सकता है किसी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के संघ द्वारा। केवल भारतीय नागरिक ही चुनावी बॉन्ड को खरीद सकते हैं। राजनीतिक दलों को देने के लिए चुनावी बॉन्ड विशेष रूप से धन के योगदान के उद्देश्य से जारी किए गए थे। इसमें कोई भी SBI की ब्रांचों में जाकर 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1,00,000 रुपये, 10,00,000 रुपये देकर बॉन्ड खरीद सकता है। इस योजना को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं कोर्ट में दर्ज की गई थीं।

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