नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। आज ही के दिन 6 अप्रैल, 1980 को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित जनसंघ नेताओं की एक ऐतिहासिक बैठक में हुई जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आधारशिला रखी गई। जो भारतीय राजनीतिक जगत में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। केंद्र में वर्तमान में BJP सरकार का कब्जा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छोड़ने की कही बात
बात 4 अप्रैल, 1980 की है। जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष चन्द्रशेखर, मोहन धारिया और मधु लिमये जनसंघ जनता पार्टी का घटक नेताओं से बार-बार कह रहे थे कि उनकी दोहरी सदस्यता नहीं चलेगी और उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपनी सदस्यता समाप्त करनी होगी। तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सूचना एवं राज्य मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समझाते रहे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारा मातृ संगठन है। बचपन से ही हमें उनसे संस्कार मिले हैं। ऐसे में जनसंघ के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता।
अटल और आडवाणी ने बुलाई बैठक
जनसंघ ने इस पर कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कोई राजनीतिक सदस्यता नहीं है। संघ एक सांस्कृतिक संगठन है जो भारत की संस्कृति, परंपरा, राष्ट्रवाद और सनातन धर्म के लिए काम करता है। इस पर जनता पार्टी के अन्य घटक दल सहमत नहीं हुए। सच तो यह था कि आपातकाल के बाद जनसंघ भारत का पहला राजनीतिक दल था जिसने अपनी पार्टी का नाम और चुनाव मिटा दिया। जनता पार्टी के नेताओं और यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने भी अटल और आडवाणी की बात नहीं मानी और चुप रहे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 4 अप्रेल, 1980 में जनसंघ के कार्यकर्ताओं का आहवाहन किया।
राम मंदिर आंदोलन और BJP
6 अप्रैल, 1980 को देशभर के प्रमुख जनसंघ नेताओं की बैठक हुई और नई भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना हुई। इस बैठक में चुनाव चिह्न कमल घोषित किया गया और पार्टी का संविधान बनाने का काम शुरू हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में BJP ने नई उचाइंयों को छुआ। हिंदुवादी और राष्ट्रवादी सोच को साथ में लेकर BJP ने देशभर के राज्यों में अपनी पकड़ बनाना शुरु किया। 1990 के दशक में BJP ने सबसे बड़ी पारी खेली, उस समय BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे लाल कृष्ण आडवाणी उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक राम मंदिर आंदोलन की रथ यात्रा आरंभ की। इस दौरान, आडवाणी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके इस आंदोलन का रुप इतना बड़ा हो गया कि उस समय की कांग्रेस सरकार के ऊपर आडवाणी अकेले भारी पड़ने लगे। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ। जिसका आरोप करसेवकों पर लगाया गया। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने करसेवकों पर अंधा-धुंध गोलियां चलाईं। इसके बाद, कांग्रेस की केंद्र सरकार के दवाब में BJP की 4 राज्यों में सरकार गिर गई।
राइज़ ऑफ BJP
1999 में NDA गठबंधन में BJP ने केंद्र में सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। 2001 में वहीं दूसरी गुजरात में नरेंद्र मोदी ने का उदय हुआ उन्होंने 12 साल तक गुजरात में सरकार चलाई। 2014 में वो देश के प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने दूसरी बार वापसी की। इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2024 लोकसभा चुनाव में हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं।
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