Aditya L1 Mission: ISRO ने फिर रचा इतिहास, आदित्य एल-1 के SUIT ने खींचीं सूर्य की पहली पूर्ण डिस्क तस्वीरें

Aditya-L1 Mission: आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान पर लगे सन अल्ट्रा वायलट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) ने सूर्य की पहली पूर्ण-डिस्क तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद कर लिया है।
Aditya-L1 Mission sun
Aditya-L1 Mission sun

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वपूर्ण सन मिशन आदित्य-एल1 की सफलता का पहला प्रमाण मिल गया है। आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान पर लगे सन अल्ट्रा वायलट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) ने सूर्य की पहली पूर्ण-डिस्क तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद कर लिया है। इस सैटेलाइट के सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (Solar Ultraviolet Imaging Telescope- SUIT) ने सूरज की पहली बार फुल डिस्क तस्वीरें ली हैं। ये सभी तस्वीरें 200 से 400 नैनोमीटर वेवलेंथ की है। जिसके कारण इसमें आपको सूरज 11 अलग-अलग रंगों में दिखाई दे रहा है।

इसरो ने एक्स पर साझा की तस्वीर

एसयूआईटी ने विभिन्न वैज्ञानिक फिल्टरों का उपयोग करके सूर्य के फोटोस्फीयर यानी बाहरी परत और क्रोमोस्फीयर यानी मध्यपरत की तस्वीरों को कैद किया है। इसरो ने बीते शुक्रवार को एक्स पर तस्वीरें साझा करते हुए बताया कि 20 नवंबर को आदित्य एल-1 का एसयूआईटी पेलोड चालू किया गया। इस पेलोड में लगे टेलीस्कोप ने 6 दिसंबर को 11 अलग-अलग फिल्टर के साथ सूर्य की पहली प्रकाश विज्ञान तस्वीरें लीं। इनका अध्ययन वेधशाला में किया जा रहा है।

इससे पहले सूरज की तस्वीर 6 दिसंबर 2023 को ली गई थी

गौरतलब है कि Aditya-L1 के SUIT पेलोड को 20 नवंबर 2023 को ऑन किया गया था। इस टेलिस्कोप ने सूरज के फोटोस्फेयर (Photosphere) और क्रोमोस्फेयर (Chromosphere) की तस्वीरें ली हैं। फोटोस्फेयर मतलब सूरज की सतह और क्रोमोस्फेयर यानी सूरज की सतह और बाहरी वायुमंडल कोरोना के बीच मौजूद पतली परत। क्रोमोस्फेयर सूरज की सतह से लगभग 2000 किलोमीटर ऊपर तक होती है। अपको बता दें इससे पहले सूरज की तस्वीर 6 दिसंबर 2023 को ली गई थी। लेकिन वह पहली लाइट साइंस इमेज थी। जबकि इस बार फुल डिस्क इमेज ली गई है। फुल डिस्क इमेज का मतलब है सूरज का जो हिस्सा पूरी तरह से सामने है, उसकी फोटो। इन तस्वीरों में सूरज पर मौजूद धब्बे, प्लेग और सूरज के शांत पड़े हिस्से आराम से देखें जा सकते है।

सूरज की स्टडी क्यों जरूरी?

अब आपके मन सवाल होगा होगा कि सूरज की स्टडी क्यों कि जा रहीं है? और यह मिशन इतना जरूरी है क्यों है? तो हम आपको बता दें सूरज हमारा तारा है। सूरज के कारण ही हमारे सौर मंडल को ऊर्जा यानी एनर्जी मिलती है। वहीं सूरज के उम्र की बात करें तो इसकी उम्र करीब 450 करोड़ साल मानी जाती है। बिना सौर ऊर्जा के धरती पर जीवन संभव नहीं है। इसलिए सूरज चारों तरफ आग उगलता हुआ दिखता है। सूरज की स्टडी इसलिए ताकि उसकी बदौलत सौर मंडल के बाकी ग्रहों की समझ भी बढ़ सके। सूरज की वजह से लगातार धरती पर रेडिएशन, गर्मी, मैग्नेटिक फील्ड और चार्ज्ड पार्टिकल्स का बहाव आता है। इसी बहाव को सौर हवा या सोलर विंड कहते हैं। ये उच्च ऊर्जा वाली प्रोटोन्स से बने होते हैं। सोलर मैग्नेटिक फील्ड का पता चलता है। जो कि बेहद विस्फोटक होता है। कोरोनल मास इजेक्शन (CME) वजह से आने वाले सौर तूफान से धरती को कई तरह के नुकसान की आशंका रहती है। इसलिए अंतरिक्ष के मौसम को जानना जरूरी है। यह मौसम सूरज की वजह से बनता और बिगड़ता है।

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