केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल पहुंचे कांग्रेस के पास, पार्टी ने कहा- चर्चा करने के बाद लेंगे फैसला

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में कहा अध्यादेश पर चर्चा को लेकर अरविंद केजरीवाल की ओर से एक औपचारिक अनुरोध आया है। हम अपनी पार्टी के साथ चर्चा करेंगे और हम फैसला करेंगे।
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल पहुंचे कांग्रेस के पास
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल पहुंचे कांग्रेस के पास

नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश लाए जाने के बाद से ही विपक्षी पार्टियों से लगातार समर्थन की मांग कर रहे हैं। सीएम केजरीवाल दिल्ली में टांसफर और पोस्टिंग के अधिकार छिन जाने के बाद लगातार मोदी सरकार पर हमलावार हैं, उन्होंने संसद में विपक्षी पार्टियों से अध्यादेश के खिलाफ वोटिंग करने की अपील की है। इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस से भी समर्थन करने का अनुरोध किया है। इस पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हम अपनी पार्टी के साथ चर्चा करेंगे और हम फैसला करेंगे।

केजरीवाल के समर्थन की मांग पर कांग्रेस का बयान

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में कहा अध्यादेश पर चर्चा को लेकर अरविंद केजरीवाल की ओर से एक औपचारिक अनुरोध आया है। हम अपनी पार्टी के साथ चर्चा करेंगे और हम फैसला करेंगे। हम अपनी पंजाब और दिल्ली इकाई के साथ चर्चा करके फैसला लेंगे। हमारी व्यापक इच्छा नरेंद्र मोदी सरकार के तानाशाही रवैये का विरोध करना है।

सीएम केजरीवाल अब तक इन नेताओं से कर चुके हैं मुलाकात

केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल अब तक बिहार के सीएम नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से मिल चुके हैं, उन्होंने सभी से इस अध्यादेश के खिलाफ एकजुट होकर संसद में वोटिंग करने की अपील की है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार लाई थी अध्यादेश

दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर करने का अधिकार दिया था। इसके एक सप्ताह बाद केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया। अध्यादेश में कहा गया कि दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांस्फर का आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही होगा। इसके बाद से ही केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई।

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