क्या कर्नाटक में बैन होगा बजरंग दल?
क्या कर्नाटक में बैन होगा बजरंग दल?

क्या कर्नाटक में बैन होगा बजरंग दल? 31 साल पहले भी लगा था प्रतिबंध, कितना मुश्किल होगा कांग्रेस के लिए फैसला?

कांग्रेस पार्टी ये अच्छे से जानती होगी कि कर्नाटक या दक्षिण भारत में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने जैसी बातों से उसको राजनीतिक रूप से कोई ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी रस्साकशी का सिलसिला 13 मई की शाम को तब जाकर थम गया, जब सभी सीटों पर चुनाव के नतीजे सामने आ गए। इसमें कांग्रेस पार्टी को कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 135 सीटों पर जीत मिली जबकि बीजेपी को मात्र 66 सीटें हाथ लग पाईं। इसके अलावा कर्नाटक के क्षेत्रीय दल जेडी(एस) को इस चुनाव में केवल 19 सीटों से संतुष्ट होना पड़ा।

बजरंग दल को बैन करने पर विचार

कांग्रेस पार्टी ने राज्य में बहुमत के आंकड़े को पार कर राज्य में सरकार बनाने के लिए रास्ता साफ कर लिया। हालांकि, इसी के साथ एक सवाल सामने आता है कि क्या कांग्रेस पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे को निभाएंगी। इसमें उसने कर्नाटक में बजरंग दल जैसे अन्य संगठन जो नफरती फैलाते हैं उन पर सख्त कार्रवाई करेगी। कुल मिला कर उसे बैन करने के लिए कहा था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बजरंग दल पर एक बार पहले बैन लग चुका है। आइए जानते हैं 31 साल पहले बजरंग दल पर किस पार्टी ने और क्यों बैन लगाया था?

कर्नाटक चुनावी घोषणापत्र में कांग्रेस ने बजरंग दल को बैन करने के लिए कहा

कांग्रेस पार्टी ने दक्षिण की राजनीति को समझते हुए अपने चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल को बैन का वादा किया था। इसके अलावा पार्टी ने पीएफआई को भी प्रदेश में प्रतिबंध करने के लिए कहा था। इसी बीच ये समझा जाए कि कांग्रेस ने केवल ये अपने चुनावी घोषणा पत्र में सिर्फ कहा है वो इस पर प्रतिबंध लगाने के अपने वादे को पुरजोर तरीके लागू करेगी, जैसे पार्टी ने कहा था कि सरकार बनने के पहली कैबिनेट में बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठन को बैन किया जाएगा। अगर इस बात को बारीकी से समझा जाए तो ये फैसला कांग्रेस पार्टी के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि ऐसा करने से पार्टी के लिए आगे चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जो अचानक से पार्टी इस पर फैसला लेने बच सकती है।

दक्षिण और उत्तर की राजनीति का फैक्टर

कांग्रेस पार्टी ये अच्छे से जानती होगी कि कर्नाटक या दक्षिण भारत में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने जैसी बातों से उसको राजनीतिक रूप से कोई ज्यादा नुकसान नहीं होगा, लेकिन शायद उसे ये भी कहीं न कहीं अहसास होगा कि इसपर बैन लगाने से उसे आगे कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। उत्तर भारत में धर्म से संबंधित सियासत ज्यादा गर्म है। अगर वो कर्नाटक में बजरंग पर प्रतिबंध करने का फैसला लेती है तो इससे उसे उत्तर भारत के राज्य हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल, यहां पर ज्यादातर सियासी दांवपेच धर्म के इर्दगिर्द रहता है। अगर कांग्रेस कर्नाटक में बंजरंग पर बैन लगाती है तो पार्टी के हिंदू वोटर इससे नाराज हो जाएंगे ऐसा शायद पार्टी नहीं चाहेगी।

 कांग्रेस के शासन काल में 31 साल पहले लगा बजरंग दल पर बैन

नब्बे के दशक में उत्तर भारत में धर्म की राजनीति का मुद्दा बहुत गर्म था। इसी धर्म की सियासत से प्रेरित होकर 1992 में बाबरी विध्वंस किया गया। इसी मामले को लेकर उस समय की कांग्रेस की सरकार में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने बजरंग दल, विहिप और आरएसएस समेत पांच संगठनों पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाया था। जिसमें से बजरंग दल पर से एक साल के बाद प्रतिबंध हटा लिया गया। इसी के बाद अब दोबारा कांग्रेस ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। हालांकि, अब कर्नाटक में सरकार के गठन होने के बाद ही देखा जाएगा कि सरकार बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाती है या नहीं।

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