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महज अलग-अलग व्यवहार को समानता के मूल अधिकारों के प्रतिकूल नहीं कहा जा सकता :न्यायालय

नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि दो समूह हों और उनके बीच तार्किक वर्गीकरण किया जाए, तो महज अलग-अलग व्यवहार को समानता के मूल अधिकारों के प्रतिकूल नहीं कहा जा सकता है। शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘एक रजिस्ट्रार के साथ लेक्चरर जैसा व्यवहार क्लिक »-www.ibc24.in

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