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न्यायेतर स्वीकारोक्ति एक कमजोर साक्ष्य: न्यायालय

नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि न्यायेतर स्वीकारोक्ति एक कमजोर साक्ष्य है और बिना किसी पुष्टि के केवल इस पर आधारित दोषसिद्धि को उचित नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने भ्रष्टाचार के एक मामले क्लिक »-www.ibc24.in

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