बिहार में आरटीआई का खेल, मांगो सूचना जाओ जेल
बिहार में आरटीआई का खेल, मांगो सूचना जाओ जेल

बिहार में आरटीआई का खेल, मांगो सूचना जाओ जेल

वर्ष 2010 से अबतक 17 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हो चुकी है हत्या वर्ष 2012 से अबतक 217 कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाकर किया गया प्रताड़ित पटना, 16 दिसम्बर (हि.स.) । बिहार में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत काम करने वाले कार्यकर्ताओं का बुरा हाल है। सूचना के अधिकार के तहत भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं को न केवल प्रताड़ित किया जाता है बल्कि उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भी भेजा रहा है। पिछले एक दशक में 17 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है जबकि वर्ष 2012 से लेकर अबतक कुल 217 आरटीआई कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया गया है। आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार बिहार में वर्ष 2012 से लेकर अब तक कुल 217 आरटीआई आवेदकों को प्रताड़ित किया गया है। यह जानकारी किसी अन्य स्रोत ने नहीं बल्कि बिहार सरकार के गृह विभाग ने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना कर उपलब्ध करायी है। विशेष शाखा के सहायक लोक सूचना पदाधिकारी ने सूचना मांगने पर प्रताड़ित होने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं से संबंधित पूरी जानकारी दी है। गृह विभाग के पत्र में बताया गया है कि इन 217 लोगों में से कई के प्रताड़ना वाली शिकायत एसपी स्तर व अन्य वरीय पदाधिकारियों के पास लंबित है। यानी, आरटीआई कार्यकर्ताओं की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि एक महीना में शिकायत पत्र पर एक्शन लेने का प्रावधान है। 2010-2020 के बीच 17 कार्यकर्ताओं की हत्या बिहार की बात करें तो वर्ष 2010 से लेकर अब तक 17 आरटीआई कार्यकर्त्ता सूचना मांगने में अपनी जान गवां चुके हैं। वर्ष 2010 में बेगूसराय में आरटीआई कार्यकर्ता शशिधर मिश्रा की हत्या हुई थी। उसके बाद वर्ष 2011 में लखीसराय के आरटीआई कार्यकर्ता रामविलास सिंह की हत्या की गई। वर्ष 2012 में ही मुंगेर के डॉ. मुरलीधर जायसवाल, वर्ष 2012 में मुजफ्फरपुर में राहुल कुमार, भागलपुर के राजेश यादव की अपराधियों ने हत्या कर दी थी। वर्ष 2013 में मुजफ्फरपुर में रामकुमार ठाकुर अधिवक्ता हत्या हुई। वर्ष 2015 में पटना के सुरेंद्र शर्मा, वर्ष 2015 में ही बक्सर के पूर्व सैनिक गोपाल प्रसाद, मुजफ्फरपुर के जवाहर तिवारी की हत्या कर दी गई। वर्ष 2017 में भोजपुर के मृत्युंजय सिंह की हत्या हुई थी। वर्ष 2018 में सहरसा के आरटीआई कार्यकर्ता राहुल झा की हत्या कर दी गई। वर्ष 2018 में वैशाली के जयंत कुमार, मोतिहारी के राजेंद्र प्रसाद सिंह, जमुई के बाल्मीकि यादव, धर्मेंद्र यादव एवं बांका के भोला साह की हत्या कर दी गई। वर्ष 2020 की अगर बात करें तो पटना के बिक्रम में पंकज कुमार सिंह एवं बेगूसराय के आरटीआई कार्यकर्ता श्यामसुंदर कुमार सिन्हा की हत्या की गई। बिहार सरकार ने फिर से जारी की एडवाइजरी सरकार ने आरटीआई कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने वालों पर कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों के प्रधान सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त, आईजी, डीएम-एसपी को भेजे पत्र में कहा है कि पूर्व में यह निर्देश दिया गया था कि सूचना के अधिकार के अंतर्गत सूचना मांगने वाले आवेदकों को दंड प्रक्रिया की धारा-107 के अंतर्गत फंसाने अथवा अन्य प्रकार से प्रताड़ित करने से संबंधित मामलों की जांच कराई जाएगी तथा दोषी पाए जाने वाले पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को कठोर सजा दी जाएगी। सूचना मांगने वाले व्यक्तियों का सम्मान करते हुए सूचना उपलब्ध कराने को कहा गया था। सूचना मांगने वालों को प्रताड़ित करने वालों कर्मियों-अधिकारियों को कार्रवाई का आदेश है। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव रंजन/चंदा-hindusthansamachar.in

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