प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को लागू करना एक  बेहतर प्रयोगः मोदी
प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को लागू करना एक बेहतर प्रयोगः मोदी

प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को लागू करना एक बेहतर प्रयोगः मोदी

नई शिक्षा नीति देश की मेधा को 34 साल पुरानी जड़ता से बाहर निकलने का संकल्प विकास के नये प्रतिमान रच रही डबल इंजन की सरकार पटना, 31 जुलाई (हि.स.)। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि बिहार में दोबारा एनडीए सरकार बनने के बाद के मात्र तीन सालों में राज्य के हर गांव को बिजली मिली और ढांचागत विकास में तेजी आयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नई शिक्षा नीति की घोषणा कर देश की मेधा को 34 साल पुरानी जड़ता के कुएं से बाहर निकलने का संकल्प प्रकट किया है। प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को लागू करना एक बेहतर प्रयोग है। रूस-फ्रांस से लेकर चीन-जापान तक दुनिया के विकसित देशों ने जिस मातृभाषा का महत्व काफी पहले समझ लिया था, उसे लागू करने का साहस कांग्रेस की सरकारें नहीं कर सकीं। डिप्टी सीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में पढाई को हर स्तर पर संस्कृति, अभिरुचि, कौशल और रोजगार से जोड़े रखने की जो चिंता की गई है, उससे दस साल में बड़े बदलाव होंगे। परीक्षा के आतंक से मुक्ति, विषय चयन की आजादी और गुणवत्तापूर्ण शोध पर जोर देकर नई शिक्षा नीति में मैकाले प्रभाव से बाहर आने की ऐतिहासिक पहल हुई है। मोदी ने कहा कि गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा को आठवीं से बढ़ाकर 12 वीं तक करना साबित करता है कि प्रधानमंत्री मोदी को सबसे ज्यादा चिंता किसकी है। इसका सबसे ज्यादा लाभ बिहार के गरीब परिवारों को होगा। नई शिक्षा नीति के लिए प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को बधाई । उपमुख्यमंत्री मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि पटना में 38 साल पुराने महात्मा गांधी सेतु के पश्चिमी लेन पर 1742 करोड़ की लागत से स्टील के सुपर स्ट्रक्चर की प्रतिस्थापना कर उसे अगले 100 वर्ष की आयु देना भी इन्हीं तीन वर्षों की अवधि में हुआ। इससे उत्तर-दक्षिण बिहार में आर्थिक-सामाजिक विकास को नई रफ्तार मिलेगी। अगले दो माह में गंगा पर बक्सर, पटना और भागलपुर में नये महासेतुओं का निर्माण शुरू होगा। केंद्र सरकार इसके लिए पूरी मदद कर रही है। डबल इंजन की सरकार विकास के नये प्रतिमान रच रही है, लेकिन लालटेन वाले इसे नहीं देख पाते। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/विभाकर-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in