कुचायकोट विधानसभा सीट : यहां 'तीर बनाम पंजा' की लड़ाई, दो बाहुबलियों के बीच सीधी टक्कर
कुचायकोट विधानसभा सीट : यहां 'तीर बनाम पंजा' की लड़ाई, दो बाहुबलियों के बीच सीधी टक्कर

कुचायकोट विधानसभा सीट : यहां 'तीर बनाम पंजा' की लड़ाई, दो बाहुबलियों के बीच सीधी टक्कर

गोपालगंज,31 अक्टूबर(हि. स.)। कुचायकोट विधानसभा संसदीय सीट पर जिन दो प्रमुख प्रत्याशियों के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है, उनकी छवि बाहुबली राजनीतिक नेता की है। इस सीट पर एनडीए से जेडीयू के टिकट पर पूर्व विधायक और बाहुबली अमरेंद्र कुमार पांडेय का मुकाबला पूर्व सांसद और बाहुबली नेता काली प्रसाद पांडेय से है जो कांग्रेस प्रत्याशी हैं। जेडीयू के अमरेंद्र कुमार पांडेय पर विभिन्न थानों में 11 अपराधिक मामलें दर्ज हैं।वहीं बाहुबली नेता काली प्रसाद पांडेय पर 8 अपराधिक मामलें दर्ज हैं। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू अमरेंद्र कुमार पांडेय और लोजपा के काली प्रसाद पांडेय के बीच काटें की लड़ाई रही। जेडीयू के खाते में यह सीट गई थी। इस सीट पर जेडीयू के अमरेंद्र कुमार पांडेय ने जीत हासिल की थी। अमरेंद्र कुमार पांडेय कुचायकोट विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अमरेंद्र ने 3562 वोटों से एलजेपी के उम्मीदवार काली प्रसाद पांडेय को हराया था। वहीं इस सीट पर 2015 में तीसरे नंबर पर नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिले थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट से काली प्रसाद पांडेय को उम्मीदवार बनाया है, वहीं जेडीयू के अमरेंद्र कुमार पांडेय भी चुनावी रण में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां कुल 431974 जनसंख्या में से 100 प्रतिशत ग्रामीण हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का अनुपात कुल जनसंख्या से क्रमशः 12.4 और 3.38 है। 2019 की मतदाता सूची के अनुसार इस निर्वाचन क्षेत्र में 315244 मतदाता और 335 मतदान केंद्र बनाए गये हैं। कुचायकोट में ब्रहामान, भूमिहार, यादव जातियों और मुस्लिम समुदाय का खासा प्रभाव है। हालांकि इस बार चुनाव परिणाम पर अति पिछड़ी जातियों का प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसके पहले भूमिहार जाति की किरण राय चुनाव जीती थी। उनके पति और भैंसुर भी बाहुबली थे जिनका दबदबा इस क्षेत्र काफी था। लालू प्रसाद का भरभूर सहयोग था। साल 2001 में अमरेंद्र ने राजनीति में प्रवेश किया था। बसपा के टिकट पर पहली जीत हासिल करने के बाद अमरेंद्र कुमार 2005 से लगातार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने जा रहे हैं। कुचायकोट विधानसभा सीट पर साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में अमरेंद्र कुमार को 72224 वोट हासिल हुए थे। वहीं दूसरे नंबर पर काली प्रसाद को 68662 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा नोटा को 7512 वोट मिले थे। 2015 के चुनाव में यहां 2 लाख 98 हजार 698 मतदाता थे। वहीं 1 लाख 66 हजार 892 लोगों ने मतदान किया था। 2015 के विधानसभा चुनावों में यहां 55.88 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस दौरान जेडीयू को 43.28 फीसदी वोट मिले थे। अमरेंद्र कुमार पांडेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकारों के विकास कार्यों के आधार पर वोट मांग रहे हैं। वहीं काली प्रसाद पांडेय 15 साल से विकास में लूट करने, अपराध पर लगाम लगाने जैसे मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। काली प्रसाद पांडेय पहले कई बार लोकसभा चुनाव में नाकाम रहे हैं। उन्हें बाहुबली छवि की भरपाई करने में काफी चुनौतियां का सामना करना पड़ा है। विरोधी अपने चुनाव प्रचार में उनके क्रिया—कलापों का जिक्र करना नहीं भूलते। राजनीति के अपराधीकरण और इस बारे में विरोधियों के आरोप के बारे में पूछे जाने पर काली पांडेय कहते हैं, 'यह आरोप एक जमाने की बात हो गई। अपराध से कोई रिश्ता नहीं है। लालू यादव की सरकार को कहा जा रहा है कि बिहार में जंगलराज था। आज केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार है, लेकिन आये दिन हत्याएं हो रही हैं, भ्रष्टाचार चरम पर है। बढ़ती चुनावी सरगर्मी के बीच गोपालगंज जिले की सीटों पर सभी दलों की निगाह है। पिछले कुछ चुनाव से यहां बीजेपी और जेडीयू ने अपना गढ़ मजबूत किया है। आरजेडी यहां से पिछले 3 लोकसभा चुनाव हारी है जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में 6 सीटों में से सिर्फ एक विधानसभा सीट पर आरजेडी का अभी कब्जा रहा। गोपालगंज जिले में कई चुनावी मुद्दों पर लोगों का फोकस है। पिछले कई चुनावों से यहां गंडक की बाढ़, अपराध और गन्ना किसानों के नुकसान और बकाये का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनता रहा है। इस बार भी ये तीनों मुद्दे हावी हैं। बाढ़ के हालात कई इलाकों में हैं। कोरोना का संकट और लॉकडाउन में घर लौटे प्रवासी मजदूरों का मुद्दा अलग से है। बाढ़ के कारण गन्ना किसानों के फसल को हुए नुकसान का मामला भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जिले में विधानसभा की 6 सीटे हैं।बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे और हथुआ। बैकुंठपुर विधानसभा सीट- इस सीट पर 2015 के चुनाव में बीजेपी के मिथिलेश तिवारी जीते थे। महागठबंधन से जेडीयू इस सीट पर लड़ी थी और दूसरे नंबर पर रही थी। इस बार भाजपा और राजद चुनाव मैदान में है। निर्दलीय मंजीत सिंह लड़ रहे है। बरौली विधानसभा सीट- बरौली से 2015 के चुनाव में आरजेडी के मोहम्मद नेमातुल्ला जीते थे। उन्होंने बीजेपी के राम प्रवेश राय को हराया था। इस बार राजद ने मोहम्मद नेमातुल्ला का टिकट काट कर उनके जगह पर रेयाजूल हक़ राजू को चुनाव मैदान में उतरा है। गोपालगंज विधानसभा सीट- गोपालगंज सीट पर 2015 में बीजेपी के सुभाष सिंह जीते थे जबकि आरजेडी के रेयाजुल हक को शिकस्त मिली थी। इस बार काग्रेंस ने आशिफ गफूर को अपना उम्मीदवार है। जबकि लालूप्रसाद कस साले साधु यादव बसपा के हाथी पर सवार है। कुचायकोट विधानसभा सीट- 2015 में कुचायकोट सीट से जेडीयू के अमरेंद्र कुमार पांडेय जीते थे।-भोरे विधानसभा सीट- 2015 में इस सीट से कांग्रेस के अनिल कुमार जीते थे। इस बार अनिलकुमार भाई सुनील कुमार जदयू के टिकट पर चुनाव माले के जितेन्द्र पासवान से लड़ रहे है। हथुआ विधानसभा सीट- हथुआ सीट से 2015 में जेडीयू के रामसेवक सिंह जीते थे। इस बार राजद के टिकट पर राजेश कुमार लड़ रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अखिला/हिमांशु शेखर /विभाकर-hindusthansamachar.in

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