बिहार में क्यों इस मंदिर पर लोग खुद का श्राद करने पहुंच जाते हैं , क्या है इसके पीछे की मान्यता

बिहार के गया जिले में एक मंदिर है , यहां कई लोग अपना खुद का पिंडदान करने पहुंचते हैं। यहां श्रद्धालु खुद का ही श्राद्ध करते हैं। इस मंदिर की मान्यता हजारों साल पुरानी है।
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नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: बिहार के गया जिले में एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां कई लोग अपना खुद का पिंडदान करने पहुंचते हैं।  यहां श्रद्धालु खुद का ही श्राद्ध कर लेते हैं। इस मंदिर की हजारों साल पुरानी मान्यता है।  पुराणों में भी मंदिर का जिक्र किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जिंदा रहते ही पिंडदान कर लेने से श्राद्ध कर्म की फिर चिंता नहीं होती है। वहीं गया में विश्वविद्यालय पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू होने जा रहा है यह 14 अक्टूबर तक चलेगा।  पितरों की मुक्ति के लिए इन दोनों पिंडदान तर्पण विधि और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।  आपको बता दें कि एक ऐसा भी मंदिर है जहां लोग खुद का पिंडदान करते हैं। तो चलिए जानते है

गया शहर में है यह मंदिर

जिस  मंदिर के बारे में हम जिक्र कर रहे हैं। वह मंदिर बिहार के गया शहर में मौजूद है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मंदिर परिसर में सिर्फ मृत्यु परिजनों का ही नहीं बल्कि जीवित लोग भी यहां खुद का श्राद्ध करने पहुंच जाते हैं। यह  मंदिर गया के भस्म कूट पर्वत पर मौजूद है।  आपको बता दें कि गया का बिहार शहर पिंडदान के लिए पूरे भारत में एक फेमस जगह है। यहां देश के हर कोने-कोने से लोग पिंडदान करने के लिए आते हैं। गया से कुछ ही दूरी पर मौजूद बोधगया शहर को बुद्ध की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग पितृ पक्ष के मौके पर गया और बोधगया में मौजूद फल्गु नदी के किनारे पिंडदान करते हैं। 

विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर में करते है श्राद्ध

ऐसा कहा जाता है कि जिस मंदिर परिसर में लोग खुद का श्राद्ध करते हैं। उसका नाम विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां परिजनों की आत्मा को पिंड दान करने से स्वर्ग में मोक्ष प्राप्त होता है  इसके अलावा पिंडदान करने के बाद वह व्यक्ति धार्मिक तौर पर दान और कर्मकांड करता है तो उसे आत्मा की शांति मिलती है। इसलिए कई लोग दान और कर्मकांड करके खुद का श्राद्ध करते हैं।  एक मान्यता ऐसी भी है यहां जो भी लोग खुद का श्राद्ध करने आते हैं वह दाहिने हाथ से विष्णु भगवान विष्णु जनार्दन को पिंडदान ग्रहण कराते है। 

क्या है विष्णु जनार्दन मंदिर की पौराणिक कथा

विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर की पौराणिक कथा बेहद ही दिलचस्प है  इस मंदिर का इतिहास हजारों साल प्राचीन बताया जाता है मान्यता के अनुसार यह मंदिर 45 देवियों में से एक देवी के रूप में विख्यात है। विष्णु जनार्दन एवं स्वामी मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसका जिक्र पुराणों में भी मिलता है।  इसलिए यहां  काफी अधिक संख्या में लोग पिंडदान करने के लिए पहुंचते हैं। यह मंदिर चट्टानों से निर्मित है यहां जो भी  लोग सच्चे मन से पिंडदान करने पहुंचते है l तो उसकी सभी कामना मनोकामना पूरी होती हैं 

कैसे पहुंचे और कहां ठहरें

देश के किसी भी हिस्से से गया पहुंचना बहुत ही आसान है। आप इसके लिए ट्रेन हवाई जहाज या सड़क मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। आप ट्रेन के माध्यम से आसानी से गया पहुंच सकते हैं।  इसके लिए दिल्ली मुंबई कोलकाता चेन्नई लखनऊ आदि बड़े शहरों से बिहार की राजधानी पटना के लिए ट्रेन चलती है।  आप पटना रेलवे स्टेशन से  118 किलोमीटर दूरी तय कर  गया जा सकते हैं । अगर आप हवाई सफर के माध्यम से गया पहुंचाना चाहते हैं तो आप पटना के हवाई अड्डे पहुंचकर,  फिर टैक्सी ,कैब या सरकारी साधन लेकर आसानी से विष्णु जनार्दन मंदिर पहुंच सकते हैं।  वहीं सड़क मार्ग के लिए आपको पटना आरा छपरा समस्तीपुर बेगूसराय बलिया भागलपुर दरभंगा और मधुबनी शहर से सड़क माध्यम से आसानी से जा सकते हैं। आपको बता दे गया में ठहरने के लिए बहुत ही अच्छे और उचित स्थान है l। आप रिलैक्स होकर यहां किसी होटल या फिर धर्मशाला में ठहर सकते हैं। जहां का किराया बहुत ही कम है और खाने पीने से लेकर आपको सभी चीज यहां मिल जाएंगी।

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