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नरगाकोठी में आयोजित तीन दिवसीय आचार्य कार्यशाला सम्पन्न

भागलपुर, 27 मार्च (हि.स.)। गणपत राय सालारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर एवं पूरनमल सावित्री देवी बाजोरिया सरस्वती शिशु मंदिर नरगा कोठी के प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय आचार्य कार्यशाला शनिवार को संपन्न हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ भारती शिक्षा समिति के प्रदेश सह सचिव प्रदीप कुमार कुशवाहा ने कहा कि बुद्धि मनुष्य के जीवन रथ की सारथी है। शिक्षा में बुद्धि विकास और ज्ञानोपार्जन का प्रमुख स्थान है। साथ ही शरीर को स्वस्थ, बलिष्ठ, भावों का सुंदर और चरित्र को निर्मल परोपकारी तथा धार्मिक बनाने का कार्य भी शिक्षा करती है। अभिभावक सम्पर्क विद्या भारती का रीढ़ है। विद्यालय सामाजिक चेतना का केंद्र है। अभिभावक सम्मेलन, मातृ सम्मेलन बालक के विकास में अहम भूमिका निभाती है। विद्यालय को समाज में ले जाना और समाज को विद्यालय में लाने का कार्यक्रम होना चाहिए। बालक के सर्वांगीण एवं सकारात्मक विकास के लिए योजना बनानी चाहिए। रामजी प्रसाद सिन्हा ने कहा कि भैया बहनों को गुरु के प्रति श्रद्धा का भाव जगाना है। देने की प्रवृत्ति आपको देवता बनाता है। हमको नर से नारायण बनने का प्रयास करना है। दीन-दुखी, झुग्गी- झोपड़ी में रहने वाले परिवार के बालकों की शिक्षा का आश्रय विद्या भारती का विद्यालय ही है। हमारे वाणी, व्यवहार, विचार से बालक सीखे ऐसा ध्यान रखना है। हमें अपने कार्यों के प्रति सजग एवं श्रद्धावान होना पड़ेगा। चार सत्रों में अभिभावक सम्पर्क, गोष्ठी, सम्मेलन, मातृ सम्मेलन, गुरु पूर्णिमा, उत्सव,प्रांतीय प्रतियोगिता, परिणाम, सेवा कार्य विषय पर विस्तृत चर्चा की गयी। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय/चंदा

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