पंचायती राज और वित्त रहित संस्थानों के अनुदान का मामला विधानपरिषद में छाया रहा

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पटना, 22 फरवरी (हि।स।)।बिहार में पंचायती राज व्यवस्था की कलाई आज बिहार विधान परिषद में खुल गई।साथ ही बिहार में वित्त रहित शिक्षण संस्थानों को अनुदान मिलने में देरी का मामला भी गर्माया रहा। बिहार विधान परिषद में विपक्ष ने आरोप लगाया कि पंचायत प्रतिनिधियों को भेजा जाने वाला पेमेंट बगैर चढ़ावे के उनको नहीं दिया जाता, आरजेडी के एमएलसी सुबोध राय ने विधान परिषद में सरकार के ऊपर यह गंभीर आरोप लगाया इसके जवाब में पंचायती राज्य मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है और पंचायत प्रतिनिधियों को संस्था में उनका भुगतान किया जा रहा है। सरकार के जवाब के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एमएलसी सुबोध राय अपने आरोप पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि वह पंचायती राज प्रतिनिधियों के द्वारा ही चुनकर सदन में आते हैं और लगातार यह शिकायत मिल रही है कि पंचायत प्रतिनिधियों को समय उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है। अधिकारी बगैर चढ़ावे या कमीशन लिए उनको पेमेंट नहीं करते हैं।हालांकि इसके बाद भाजपा एमएलसी रजनीश कुमार भी सदन में उठ खड़े हुए। रजनीश कुमार ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को सरकार की तरफ से समय भुगतान के लिए प्रार्थी उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन ब्लॉक के स्तर पर कहीं कहीं कुछ गड़बड़ियां सामने आई हैं। रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह इस मामले को गंभीरता से देखें और प्रखंड स्तर पर अगर कहीं कोई खानी है तो तत्काल इसे दूर किया जाए पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने आश्वासन दिया कि वह इस मामले को गंभीरता से देखेंगे। वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के अनुदान का मामला: -शिक्षा विभाग के लिए तय की गई बजट राशि वापस लौट जा रही:कांग्रेस बिहार में वित्त रहित शिक्षण संस्थानों को अनुदान मिलने में देरी का मामला आज एक बार फिर बिहार विधान परिषद में उठा। इस मामले को विधान परिषद में ध्यानाकर्षण के माध्यम से कांग्रेस के सदस्य मदन मोहन झा ने उठाया। कांग्रेस एमएलसी ने आरोप लगाया कि बिहार में शिक्षा विभाग के लिए तय की गई बजट राशि वापस लौट जा रही है लेकिन वित्त रहित शिक्षक संस्थानों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। इसके जवाब में सरकार की तरफ से शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जवाब दिया। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जो राशि वित्तीय वर्ष में वापस लौटी है, उसे बिहार बोर्ड को वापस किया जाएगा और बोर्ड अपने नियमों के अनुकूल क्राइटेरिया फुलफिल करने वाले शिक्षण संस्थानों को अनुदान देगी। वित्त रहित शिक्षण संस्थानों को सरकार की तरफ से पिछले 2 वर्षों से ज्यादा वक्त से भुगतान नहीं किया गया, यह आरोप सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई सदस्यों ने सदन में लगाया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने एक साथ सरकार को इस मसले पर जमकर घेरा। जेडीयू के संजीव सिंह और बीजेपी के नवल किशोर यादव ने भी सरकार से इस मामले में भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार उन जगहों पर भी मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित कर रही है जहां पहले से अनुदान प्राप्त करने वाले शिक्षण संस्थान काम कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/गोविन्द

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