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कोरोना की रोकथाम के लिए जमीनी स्तर पर हेल्थ केयर को मजबूत करना आवश्यक : डीएम

दरभंगा, 26 अप्रैल (हि.स.)। जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने कहा कि कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसलिए जमीनी स्तर के हेल्थ केयर को मजबूत करना आवश्यक है। बिल एण्ड मेलिण्डा गेट्स फाउंडेशन द्वारा सोमवार को कोविड-19 के रोकथाम एवं ईलाज के लिए जिला के ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायियों (आर.एम.पी) के लिए आयोजित ऑनलाईन प्रशिक्षण सह कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए उन्होंने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्यशाला है। चूूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण चिकित्सा प्रैक्टिशनरों का चिकित्सा क्षेत्र में खास योगदान हुआ करता है। इसके लिए दरभंगा के ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षित करना आवश्यक है। उनके द्वारा कोरोना के मरीज को सही समय पर सही सलाह देना आवश्यक है। मरीज को देखने के समय इसे इतना भयानक नहीं बताया जाए। अधिकतर कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में ठीक हो जाते है, ऐसा देखा जा रहा है कि जिनका ऑक्सिजन लेवल (एसपीओ 2)-98 से 95 हो जाता है, तो लोग भयभीत हो जाते हैं और हॉस्पिटल की ओर रूख करते हैं। चिकित्सक द्वारा पूर्जा पर मरीज को वेंटीलेटर और रेमडीसिविर लेने की सलाह दी जाती है। लोगों में यह एक धारणा बन गयी है कि रेमडीसिविर कोरोना की जादुई दवा है। उन्होंने ग्रामीण चिकित्सकों से कहा कि मरीजों को ऐसी सुझाव न दे। मरीजों को भेंटीलेटर की आवश्यकता तभी पड़ती है, जब एसपीओ 2-95 % के नीचे आ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। उस समय ऑक्सीजन (वेंडिलेटर)का सुझाव देना चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि ऑक्सीजन का कहीं भी भंडारण नहीं किया जाना चाहिए, यदि इसका भंडारण किया जाएगा, तो जिन लोगों को आवश्यकता है, उनके लिए कमी हो जाएगी। उन्होंने चिकित्सकों को कहा कि जिस परिस्थिति के लिए, जिस दवा की आवश्यकता है, वहीं दिया जाए और मरीज को भयभीत नहीं होने की सलाह दी जाए। बिल एण्ड मेलिण्डा गेट्स फाउंडेशन की सम्बद्ध संस्था केयर इण्डिया के तकनीकी निदेशक डॉ. श्रीधर श्रीकांतिया द्वारा कोविड-19 संक्रमण से संबंधित अद्यतन जानकारी एवं सरकार द्वारा कोविड 19 संक्रमण के रोकथाम के लिए जारी गाईडलाईन के संबंध में जानकारी दी गयी। उन्होंने ग्रामीण चिकित्सकों को कहा कि कोरोना पॉजिटिव होने के मामले में मरीज को भयभीत (पैनिक) होने की कोई आवश्यकता नहीं है। अधिकतर मामले होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं। कुछ मामले ही गंभीर प्रकृति में परिणत होते हैं। जिनके लिए वेंटिलेटर और हार्ड एंटीबायोटिक की आवश्यकता होती है। 90 से 95 प्रतिशत मामले घरेलू देखभाल व उपचार से ही ठीक हो जाते हैं। सिविल सर्जन डॉ. संजीव कुमार सिन्हा द्वारा कार्यक्रम में प्रशिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। हिन्दुस्थान समाचार/मनोज

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