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सिमरिया पुल पर कभी भी ठप हो सकता है रेल और रोड परिचालन

बेगूसराय, 05 जून (हि.स.)। आजादी के बाद गंगा नदी पर देश में बने सबसे पहले रेल-सह-सड़क पुल बिहार के राजेंद्र सेतु की स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई है। राजेंद्र सेतु (सिमरिया पुल) से बड़े वाहनों के गुजरने पर रोक लगाए जाने के बावजूद रात के अंधेरे में दोनों ओर के थाना पुलिस द्वारा अवैध वसूली कर अधिक भार लदे वाहनों के आवागमन से कभी भी पुल का सड़क मार्ग ध्वस्त हो सकता है। पुल के डेक स्लैब में दो जगहों पर एक बार फिर बड़ा छेद हो रहा है, पुल की लगातार खराब हो रही स्थिति को देखते हुए पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के जनरल मैनेजर (इंजीनियरिंग) ने बेगूसराय के डीएम को पत्र लिखकर वाणिज्य वाहनों के अनाधिकृत रूप से चलने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। पत्र की प्रतिलिपि पथ निर्माण विभाग बिहार के सचिव, परिवहन विभाग के सचिव, एनएचएआई, रेलवे के संबंधित डीआरएम तथा एसपी समेत अन्य अधिकारियों को देकर बालू समेत अन्य सामान लोडकर अनाधिकृत रूप से ले जाए जा रहे ट्रक, ट्रैक्टर एवं मिनी ट्रक के परिचालन पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। जनरल मैनेजर अविनाश सोनू ने आशंका जताई है कि भारी वाहनों का परिचालन नहीं रोका गया तो सड़क का डेक कभी भी गिर सकता है। इससे रेल यात्रियों और पुल को भी अपूरणीय क्षति पहुंच सकता है। उन्होंने कहा है कि यह पुल उत्तर पूर्व रेल यातायात के लिए जीवन रेखा है। अगर पुल क्षतिग्रस्त हो जाता है तो उत्तर और दक्षिण बिहार का सड़क एवं रेल संपर्क पूरी तरह से ठप हो जाएगा। निर्धारित लदान मानकों से अधिक भारी भार वाले वाहनों की आवाजाही से पूरे डेक में स्लैब की संरचनात्मक स्थिति गंभीर हो गई है। डेक स्लैब दो स्थानों पर विफल हो गया, बड़े छेद हो गए हैंं। इस पुल के समानांतर एक सिक्स लेन सड़क पुल का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन इसे चालू होने में कुछ समय लगेगा। तब तक वर्तमान पुल को सेवा योग्य स्थिति में रखना महत्वपूर्ण है। इसके लिए एनएचएआई द्वारा पुलों के दोनों किनारों पर हाइट गेज लगाया गया है लेकिन कुछ लोग इसे रात के अंधेरे में हटा देते हैं और भारी वाहनों का परिचालन कराया जाता है। जिससे पुल की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसलिए प्रशासन बड़े वाहनों के अवैध परिचालन पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। इससे पहले 13 मई को भी एनएचएआई द्वारा वाहन परिचालन पर रोक लगाने की मांग प्रशासन से की जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि आजादी मिलने केेे बाद गंगा नदी पर सबसे पहले रेल सह सड़क पुल पटना एवं बेगूसराय के बीच बना तथा 1959 में पुल का उद्घाटन किया गया था। जिसके बाद बीच-बीच में मरम्मत कर परिचालन जारी रहा लेकिन स्थिति गंभीर होने के बाद 2019 में बड़े और भारी वाहन के परिचालन पर रोक लगाने के लिए हाइट गेज लगाकर बेगूसराय एवं पटना प्रशासन ने दोनों ओर पुलिस को लगाया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं मिला |हालांकि, बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की पहल पर पिछलेेे महीने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा पुल के जीर्णोद्धार के लिए 80 करोड़ 87 हजार 640 रुपया स्वीकृति दी गई है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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