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सीयूसीबी के छात्र रुद्र माझी की कविता को वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिली

गया, 15 मई (हि.स.) कहते हैं कि एक अच्छे साहित्यकार को हमेशा अपनी कलम से ही पहचान मिलती है।इस कथन को दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के शोधार्थी रुद्र चरण माझी ने सच कर दिखाया है। जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मो० मुदस्सीर आलम ने शनिवार को बताया कि विवि में हिंदी भाषा साहित्य पर शोध कर रहे है रुद्र चरण माझी की कविता ने ओड़िशा के गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बनाई हैै । रुद्र चरण माझी ने 131 अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ियों पर हो रहे अंतराष्ट्रीय काव्य संकलन के अवसर पर “ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में उड़ीशा के महान हॉकी खिलाड़ी “इग्नेश तिर्की “ के ऊपर शोध करते हुए अपना शोधात्मक काव्य भेजा था। इस काव्य को “ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड “ के सदस्य ने CLAIM ID-GBWR/ASIA/21/IN/0323 चयन किया और संस्था ने उन्हे प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। साथ ही साथ इस “काव्य संकलन” का “अंतराष्ट्रीय ह्मुन राइट कमीशन “ और ” स्पॉट अकादमी असोशिएशन ऑफ इंडिया” ने भी प्रमाणपत्र देकर सराहना किया है। इस काव्य संकलन का कार्यभार डॉ विदुषी शर्मा, अकादमिक काउंसलर, इग्नू, (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटि) विशेषज्ञ केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को दिया गया था। उन्होने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय काव्य संकलन में देश-विदेश के लगभग 139 बड़े शोधकर्ताओं व रचनाकारों ने भाग लिया और सभी ने ऐसे खिलाड़ियों पर कार्य किया। जिन्होंने विभिन्न खेलों में भारत का नाम रोशन किया है। परंतु ये दुर्भाग्य ही है की वर्तमान की समय में उन महान खिलाड़ियों को कोई सही से पहचानता तक नहीं।" काव्य संकलन " का मुख्य उद्देश्य आमजनों को उन महान खिलाड़ियों के हॉकी के खेल को दिए गए बहुमूल्य योगदान से अवगत कराना था। ओड़ीशा के सुंदरगढ़ जिले के निवासी रुद्र चरण माझी ने महान आदिवासी हॉकी खिलाड़ी और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान श्री इग्नेश तिर्की के ऊपर शोधात्मक काव्य लिखा है। सुंदरगढ़ जिला कई महान हॉकी खिलाड़ियों की जन्म भूमि है, यहीं से ही दिलीप तिर्की, इग्नेश तिर्की, प्रवध तिर्की , लुजालूस वर्ला, रौशन तिर्की, सुभद्रा प्रधान, ज्योति सुनीता कुलु, विलिउम खाल्खो, बिरेन्द्र लाकरा, सुनीता लाकरा जैसे खिलाडियों ने भारतीय हॉकी टीम को अपनी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इग्नेश तिर्की ने फरवरी 2001 में अकबर एल योम टूर्नामेंट में राष्ट्रीय टीम के लिए पदार्पण किया था और “काहिरा “ मैच में बेल्जियम के विरुद्ध वे भारतीय टीम के सदस्य थे।वहीं,उनका एथेंस ओलंपिक 2004 में अपना महत्वपूर्ण योगदान रहा। पाकिस्तान के खिलाफ 2003 के अंतिम मिनटों में एशिया कप में उन्होंने चौथा गोल किया था और एशिया कप में भारत को अपना पहला स्वर्ण पदक दिलाया। उनका एक और योगदान 2001 के अगस्त में मुरुगुप्पा गोल्ड कप में था, जहां उन्होंने फाइनल जीतने के लिए एक स्वर्णिम गोल दिया था। इग्नेश तिर्की को राष्ट्रीय खेल में अद्भुतपूर्व योगदान के लिये साल 2010 में पद्मश्री पुरस्कार, साल 2009 में अर्जुन पुरस्कार एवं साल 2003 में एकलव्य पुरस्कार से नवाजा गया। “ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड “ काव्य संकलन में बेल्जियम से कपिल कुमार, जापान से डॉ.रमा शर्मा,अमेरिका से डॉ. सीमा भांति ,दोहा से शलिनी वर्मा जैसे महान साहित्यकार और शोधार्थी देश-विदेश से जुड़े।इसके अलवा इसरो के महान वैज्ञानिक डॉ.चंद्रशेखर शर्मा भी इस काव्य संकलन में अपनी सहभागिता प्रदान की। रुद्र चरण माझी को इस सफलता पर उनके परिवार वालों, मित्रों, गुरुजन और शुभचिंतकों की ओर से अनेकानेक शुभकामनाएं मिल रही है। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/चंदा

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