गायत्री शक्तिपीठ में हवन अनुष्ठान के साथ नवरात्र का हुआ समापन
सहरसा,21 अप्रैल (हि.स.)। शहर के प्रताप नगर स्थित गायत्री शक्तिपीठ में बुधवार को आदि शक्ति के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री का पूजन एवं पूर्णाहुति हवन कर वासंती नवरात्रि का समापन हुआ। इससे पूर्व नवरात्र के प्रथम दिन शक्तिपीठ मे कलश स्थापित करते हुए साधकों ने 24000 गायत्री मंत्र जप के अनुष्ठान का संकल्प लिया। प्रत्येक दिन मां के आठो स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा,स्कंधमाता, कात्यायनी,कालरात्रि, महागौरी का पूजन विधि विधान के साथ शक्तिपीठ की देवकान्याओं ने किया।जिसे यूट्यूब लाइव प्रसारण के माध्यम से सभी परिजन ने कोरोनाकाल के महामारी को ध्यान में रखते हुए शक्तिपीठ के साधना कक्ष से अपनी भावना को जोड़कर पूजन किए तथा संध्याकाल अरूण कुमार जायसवाल द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी रचित रामचरितमानस कथा के बालकाण्ड के पुष्प बाटिका में भगवान राम और सीता के प्रेम की कथा को तुलसीदास किस मर्यादित ढंग से वर्णित किये। उस कथा को प्रत्येक दिन यूट्यूब के माध्यम से वर्णन करते रहे।आज नवरात्र के नवम दिन ट्रस्टी डॉ.अरूण कुमार जायसवाल ने आदि शक्ति के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विशेषता बताते हुए कहा आज हम सिद्धि चक्र पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।सिद्धि चक्र यहां हमें अपने स्वरूप में प्रतिष्ठा मिलती है।जीवन अपने पूर्णता की ओर प्राप्त होता है।सर्व सुख सिद्धि की प्राप्ति होती है।यानि हमारा जीवन पूर्णता को प्राप्त करता चला जायेगा।भक्ति की पराकाष्ठा साधना की पराकाष्ठा, तप की पराकाष्ठा,तीतिक्षा की पराकष्ठा माता सिद्धिदात्री की रूप में हमें प्राप्त होती है।वह हमें मोक्ष प्रदान करती है।सिद्धि यानी मोक्ष को देनेवाली इसलिए इनका नाम सिद्धिदात्री है।इस नवमें स्वरूप में भगवती जब हमारे जीवन में प्रवेश करती है तो साधना अपनी संपूर्णता में प्राप्त होती है और साधक कैवल्य ज्ञान, मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।सारे बंधनों-पाप,शाप,ताप,लोभ,मोह अहंकार से मुक्त होता चला जाता है।यही भगवती के नवमें स्वरूप की आध्यात्मिकता है। पूजनोपरान्त पूर्णाहुति हवन हुआ। जिसे यूट्यूब लाइव प्रसारण के माध्यम से सभी परिजन अपने अपने घर में रहकर ही शक्तिपीठ से अपनी भावना को जोड़कर शक्तिपीठ द्वारा पूजन-विधि निर्देशानुसार हवन करते हुए पूर्णाहुति किए। हिन्दुस्थान समाचार/अजय