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भगवान रामानुजाचार्य समतामूलक समाज के संस्थापक थे:स्वामी लक्ष्मणाचार्य

पटना/सोनपुर, 24 फरवरी (हि.स.)।हरिहरक्षेत्र सोनपुर में नारायणी नदी के पश्चिमी तट पर गजेन्द्रमोक्ष देवस्थानम दिव्यदेश के परिसर मे चल रहे ब्रह्मोत्सव सह लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के तीसरे दिन वैष्णव एवं वैदिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीठाधीश्वर स्वामी रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने बुधवार को कहा कि भगवान रामानुजाचार्य समतामूलक समाज के संस्थापक थे।भगवान ने स्वयं उनके माध्यम से वैष्णवता का प्रचार-प्रसार कराया। रामानुजाचार्य स्वामी लक्षमणाचार्य जी ने वैष्णव भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सम्प्रदाय अति प्राचीन एवं अग्रजन्मा सम्प्रदाय है।वैष्णव वह है जो भगवान विष्णु की उपासना एवं भक्ति करनेवाला हो।उन्होंने कहा कि मुक्ति देने में भगवान स्वतंत्र होते है। यह उनकी इच्छा के उपर निर्भर है।लेकिन आचार्य मुक्ति देने में परतंत्र होते है।यदि हम वैष्णव है तो गुरु के माध्यम से मुक्ति मिलेगी ही।।इसमे संशय नही है।भगवान भगवान स्वयं वैष्णव है,और रामानुज स्वामी के द्वारा वैष्णवता का प्रचार- प्रसार कराकर इस मानव जीवन को प्रपत्ति गुरु परम्परा व शरणागति का ज्ञान कराते हुए सबको शुद्ध सात्विक भगवान लक्ष्मीनारायण की आराधना करना ही सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम मार्ग बताया। स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि सही अर्थों में यह कह सकते हैं कि भगवान रामानुजाचार्य समतामूलक समाज के संस्थापक थे। उन्होंने दलित को भी अपनाया।इस अवसर पर पंडित. नन्द किशोर तिवारी, पवन शास्त्री, आचार्य चन्द्रकान्त झा, वाल्मीकि शास्त्री, कुशेश्वर चौधरी, जनार्दन दीक्षित,लक्ष्मी पाण्डेय, दिलीप झा, राजीव झा, आशा पाठक, प्रतिमा सिह, फुल झा, नीलु झा, राजकली देवी, रतन कुमार कर्ण, नीलिमा कर्ण एवं मुजफ्फरपुर, वैशाली, छपरा, पटना, आरा, समस्तीपुर, दरभंगा वगैरह के भक्त उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार

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