नियम को ताक पर रखकर राज्यपाल कोटे से बनाए जाते हैं विधान परिषद सदस्य
पटना, 6 जुलाई(हि स)। बिहार विधान परिषद में राज्यपाल के द्वारा मनोनीत 12 सीटों के लिए सदस्यों की नियुक्ति होने वाली है। संविधान के अनुसार राज्यपाल के द्वारा मनोनयन कोटा से साहित्य,विज्ञान,कला तथा सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति का प्रावधान है। लेकिन इस वक्त मनोनयन कोटा में भी नेताओं का सौ फीसदी आरक्षण हावी हो गया है। माना जा रहा है कि इस बार भी विधान परिषद के मनोनयन कोटा में तिकड़म होगी और कोटे के नियमों को ताक पर रख दी जाएगी। मनोनयन कोटा में नियमसम्मत तरीके से साहित्य,विज्ञान,कला,सहयोग आंदोलन अथवा सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति होनी चाहिए। मगर आशा के विपरीत इस बार भी सभी 12 सीटों पर हमेशा की तरह सत्ताधारी दल के ‘सेवक’ ही भरे जाएंगे। पिछली बार 2014 में इस कोटे से ऐसा ही किया गया था। प्रक्रिया के अनुसार इस में कैबिनेट की सिफारिश के बाद राज्यपाल को मनोनयन करना होता है। इस प्रकरण पर नागरिक अधिकार मंच ने पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि नागरिक अधिकार मंच के तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई भी हुई है। फिलहाल पटना उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूजेसी संख्या 10819/2015 लंबित है। बताया जाता है कि समरूप प्रकृति का एक एसएलपी भी सर्वोच्च न्यायालय के यहां लंबित है। यह भी विडंबना ही मानी जा सकती है की नियुक्ति के बाद अवधि भी पूर्ण हो गई। मगर न्यायालय में विवाद का निपटारा नहीं हो सका। बिहार विधान परिषद के मनोनयन कोटा के 12 रिक्त सीट फिर भरे जाने हैं। जदयू से 7 तथा भाजपा से 5 सदस्यों के जाने की चर्चा है। दोनों पार्टियों के द्वारा कमोबेश नाम भी फाइनल कर लिया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/मुरली/चंदा-hindusthansamachar.in