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मनरेगा योजना में बरती जा रही अनियमितता, दिन में मजदूरों से तो रात में ट्रैक्टर हो रहा कार्य

सुपौल, 23 मई (हि. स.)। कोरोना महामारी से लोग त्रस्त हैं। लॉक डाउन किये जाने से शुकुन भरी खबर यह है कि जहां संक्रमण की दर घटने लगी है। वहीं दूसरी तरफ लॉक डाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने से उनकी स्थिति दयनीय हो गई है। ऐसे समय मे सरकार द्वारा मनरेगा के माध्यम से मजदूरों को रोजगार देने की पहल शुरू की गई है। लेकिन एक वार फिर मनरेगा योजना में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने की खबर सामने आने लगी है। माफियाओं द्वारा सरकार की बड़ी रकम हड़पने के लिए नए नए तरीके खोजे जा रहे हैं। यही कारण है कि इसके चलते मजदूरों की जगह ट्रैक्टर और जेसीबी के सहारे रात के अंधेरे में काम किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। मामला जैसे ही सुर्खियों में आया है कि प्रशासनिक स्तर पर हलचल तेज हो गई है। संबंधित विभाग के अधिकारी जांच कर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं। कोरोना काल में सरकार ग्रामीण मजदूरों एवं प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में रोजगार देने के लिए विभिन्न सारी सरकारी योजनाएं चला रही है। जिसमें मनरेगा योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके अंतर्गत मजदूरों को विभिन्न जगहों पर काम भी मिल रहा है। लेकिन इन योजनाओं में बरती जा रही अनियमितता से कई मजदूर काम से वंचित रह जाने को विवश हो गए हैं। छातापुर प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत लक्ष्यामिनिया वार्ड 9 में मिरचैया नदी में करीब 40 लाख की लागत से मनरेगा योजना से 4 चरण में नदी में चिरान कार्य किया जा रहा है। बताया गया है कि यहां योजना स्थल पर दिन में मजदूरों द्वारा काम किया जाता है और रात के अंधेरे में मशीनों से। स्थानीय ग्रामीण बिंदेश्वर पासवान, वीरेंद्र यादव, राजेश यादव, नंदन कुमार झा, अमृत सागर आदि स्थानीय लोगों ने बताया कि पंचायत में मनरेगा योजना के संचालन में व्यापक पैमाने पर अनियमितता किया जाता है और गरीबों को उसके हक से वंचित किया जाता है। लोगों ने बताया कि मास्टर रोल में ऐसे मजदूरों का नाम रहता है जिसका काम से कोई लेना देना नहीं है। यह भी बताया कि यहां पर कई दिनों से काम हो रहा है और लगभग हर रात ट्रैक्टर लेवलर और जेसीबी के सहारे काम करवाया जा रहा है। जाहिर है जहां एक तरफ कोरोना महामारी को लेकर सरकार द्वारा मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार देने की बात कही जा रही है। वहीं योजना स्थल पर रात के 11 बजे ट्रैक्टर व अन्य मशीनों के सहारे आखिर कौन सा काम करवाया जाता है। यह जांच का विषय है। क्योंकि इससे मजदूरों की हकमारी सामने आ रही है। शनिवार की रात करीब 11 बजे जब स्थानीय एक मीडिया कर्मी निर्माण स्थल पर मशीन द्वारा कार्य कराए जाने की जानकारी पर पहुंचे तो निर्माण स्थल पर पहुंचने के बाद 3 ट्रैक्टर चिरान कार्य में जुटे हुए थे। वहीं स्थल पर मौजूद एक व्यक्ति उमेश पासवान ने कहा कि उसे स्थानीय मुखिया मो. होदा व एक अन्य ने काम करने के लिए कहा है। वो आज ही स्थल पर काम करने आये हैं। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने ललितग्राम ओपी को इसकी जानकारी दी। मौके पर पहुंची ओपी पुलिस ने तत्काल दो ट्रैक्टर को अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दिया है। सबसे अहम बात यह है कि मानसून आने में चंद दिन ही रह गए हैं। ऐसे समय में नदियों में काम कराया जाना भी समझ से परे की बात है। जिस मिरचैया नदी में मनरेगा से चिरान कार्य किया जा रहा है वहां जून-जुलाई के महीनों में पानी का भारी दवाव रहता है। ऐसे में यदि निर्माण कार्य को समय पर खत्म भी कर लिया जाएगा, तो बाढ़ में उसका पूरी तरीके से बह जाने की प्रबल संभावना रहेगी। स्थानीय लोगों की मानें तो यह काम जनवरी-फरवरी के महीनों में किया जाता तो इसका फायदा होता, अभी काम की शुरुआत किया जाना भी हास्यास्पद लग रहा है। यह काम टिकाऊ और उपयोगी नहीं हो सकती है। ऐसा जानकार लोग कहते हैं। इस बाबत पूछे जाने पर छातापुर के मनरेगा पीओ अमरेंद्र कुमार ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि रात में योजना स्थल पर ट्रैक्टर मिली है। लेकिन उससे काम नहीं कराया गया। फिर भी इस मामले की जांच उनके स्तर से की जा रही है। जबकि इस बाबत डीडीसी मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि उसे इस योजना से सम्बंधित जानकारी मिली है। योजना की जांच की जाएगी गड़बड़ी पाए जाने पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव

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