गया, 26 फरवरी (हि.स.)। दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के ऐतिहासिक अध्ययन एवं पुरातत्व केंद्र की ओर से आयोजित एक विशेष व्याख्यान श्रृंखला में राष्ट्र-निर्माताओं को शुक्रवार को याद किया गया। जन सम्पर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मो. मुदस्सीर आलम ने बताया कि विवि के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु झा की अगुवाई में ' आधुनिक काल के महत्वपूर्ण राष्ट्र-चिन्तक ' विषय पर व्याख्यान-माला आयोजित की गई। इस अकादमिक गतिविधि का उद्देश्य आधुनिक भारत के राजनीतिक चिन्तकों का राष्ट्र- निर्माण में योगदान एवं उनके जीवन दर्शन से छात्रों का परिचय कराना था। वेबिनार के माध्यम से आयोजित इस व्याख्यान-माला में देशभर से इतिहासकार एवं प्राध्यापक जुड़े जिनसे सीयूएसबी के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों को संवाद करने का मौका मिला।इस व्याख्यान- माला में वक्ताओं ने अपने महत्वपूर्ण व्यक्तव्यों से स्नातक एवं परस्नातक कर रहे विद्यार्थियों को राष्ट्रवादी चिन्तकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित करवाया। व्याख्यान-श्रृंख्ला में देश के महान हस्तियो के आदर्शों एवं चिंतन का स्मरण किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ सुनीता सिंह ने महर्षि अरविंद के जीवन के दार्शनिक पक्ष एवं ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया। साथ ही उनके जीवन दर्शन को अनुकरणीय बताया। उन्होंने अरविंद के जीवन में हुए क्रमिक परिवर्तनों को ऐतिहासिक संदर्भ में विश्लेषित किया। दुमका विश्वविद्यालय के डॉ सुरेन्द्र कुमार सिंह ने समाजवाद एवं उदारवाद के द्वैध से इतर एकात्म मानववाद को भारतीय जनमानस एवं राष्ट्र के उन्नयन का मार्ग बताया।साथ ही इतिहासलेखन के उस प्रारुप की भी आलोचना की।जिसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन एवं उनके ऐतिहासिक महत्व के विचारों को पाठ्य- पुस्तकों एवं अकादमिक चर्चा का विषय नहीं बनाया। डॉ शशिकान्त यादव ( काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) ने मालवीय जी का राष्ट्र- निर्माण में योगदान को स्मरण करते हुए विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा ग्रहण करने बल्कि व्यक्तित्व एवं चरित्र- निर्माण की प्रक्रिया कर बल दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास की शिक्षा हमें यह अवसर देती है कि हम न केवल राष्ट्र- निर्माण की प्रक्रिया को समझे बल्कि उसमें अपना सचेतन और सक्रिय योगदान भी दे सकें। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/चंदा