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मखाना में स्वरोजगार की अपार संभावनाऐं: डॉ पी चन्द्रशेखर

पूर्णिया 18 जून (हि.स.)। कृषि महाविद्यालय में मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्यवर्द्धन, ब्रांडिग एवं विपणन श्रृंखला के सुदृढ़िकरण पर क्षमता संवर्द्धन विषय पर मैनेज, हैदराबाद, तेलंगाना द्वारा प्रायोजित चल रहे पांच दिवसीय ऑनलाईन राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे एवं तीसरे तकनीकी सत्र का कार्यक्रम आयोजन किया गया। प्रशि़क्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र के कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अतिथि मैनेज, हैदराबाद, तेलंगाना के महानिदेशक डॉ.पी चन्द्रशेखर ने की। कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.पारस नाथ ने बताया कि प्रशि़क्षण के दौरान ऑडियो विजुअल एड का बेहतर प्रयोग किया गया जिसकी सहायता से मखाना उत्पादन तकनीक की विडियो फिल्म आदि दिखाकर सार्वभौमिक जानकारी दी गई। डॉ.नाथ ने अपने ऑनलाईन संबोधन में कहा कि बेकार पड़े जलजमाव क्षेत्रों में उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता में वृद्धि हेतु मखाना उत्पादन तकनीकी एक बेहतर विकल्प है कोसी क्षेत्र में मखाना की अपार संभावनाएं है। इस पांच दिवसीय ऑनलाईन राष्ट्रीय क्षमता संवर्द्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र के दुसरे एवं तीसरे दिन में राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा आनलाइन अपने अपने विचार व्यक्त किये गये। सबसे पहले विजय प्रकाश पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी एवं पूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त बिहार सरकार द्वारा अपने आनलाइन सम्बोधन में बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर चर्चा करते हुए यह बताया गया कि बिहार के जलीय क्षेत्रों के विकास के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से कार्य कर रहा है। जिसका परिणाम आज के दिन मखाना उत्पादन तकनीकी के साथ सबौर मखाना एवं प्रजाति का विकास कर किसानों कि आय को बढाने में अपना योगदान दिया। मखाना वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार ने मखाना उत्पादन के लिए वैज्ञानिक विधि से पौधशाला तैयार करने की विस्तार पूर्वक जानकारी दी। अपने ऑनलाईन संबोधन में राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के डॉ सोमनाथ राय चौधरी द्वारा जल जमाव क्षेत्र के सर्वांगिण विकास के लिए कई आधुनिक तकनीकी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। वहीँ एमएलएसएम कॉलेज दरभंगा के प्राचार्य डॉ विद्यानाथ झा ने उपस्थित मखाना किसानों को मखाना के औषधीय एवं पोषण गुणों के बारे विस्तार पूर्वक जानकारी दी। प्रशि़क्षण कार्यक्रम के सह समन्वयक डॉ पंकज कुमार यादव ने मखाना पौधशाला से मुख्य खेत में मखाना के पौधों की रोपाई की वैज्ञानिक विधि को विस्तार पूर्वक बताया। तकनीकी सत्र के मुख्य अतिथि डॉ पी चन्द्रशेखर ने अपने ऑनलाईन संबोधन में बताया कि मखाना में स्वरोजगार की अपार संभावनाऐं हैं। आज वैश्विक स्तर पर मखाना को सुपर फूड के रूप में पहचान मिलने पर इसकी मांग में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया का मखाना फसल के अनुसंधान एवं विकास में सराहनीय प्रयास जारी है। मखाना वैज्ञानिकों की टीम के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को संगठित हो कम्पनी बनाकर काम करने की जरूरत है तभी जाकर मखाना की सही तरीके से मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग भारत के साथ साथ अन्तर्राष्ट्रीय स्त हिन्दुस्थान सामाचार /नन्दकिशोर

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