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विपत्ति के समय मानव सेवा कामगारों की पहली प्राथमिकता

सुपौल, 13 मई (हि. स.)। कोरोना महामारी के समय प्रदेश में रहने वाले कामगार महिला पुरुष रोजगार छीन जाने के बाद जब अपने घर लौटे तो उन्हें सिर्फ परिवार की नहीं बल्कि समूह की चिंता सताने लगी। कामगार की यह चिंता जिले में रंग लाने लगी है। जिला औधोगिक नवप्रवर्तन योजना अंतर्गत कोरोना काल में प्रवासी कामगार कलस्टर कार्य कर रहे हैं। कोरोना काल में पंचायती राज विभाग द्वारा प्रत्येक परिवार को 6 मास्क उपलब्ध कराने के आदेश को जिले में 32 कामगार जिसमें 4 महिलाएं अपनी मेहनत के बल पर सार्थक करने में खुद का दर्द भूल जुट गई है। कामगारों के इस हौसले की अधिकारी ही नही आम लोग प्रशंसा करने लगे हैं। सरकार के इस आदेश से जहां आम लोगों को मास्क उपलब्ध हो रहा है वहीं श्रमिकों को कोरोना काल में रोजगार भी मिल रहा है एवं व्यापार में श्रमिक आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं। कामगारों के मेहनत का प्रतिफल है कि जिले में अब तक 6 लाख 12 हजार 568 लोगों को मास्क उपलब्ध कराया गया। :: दो सेंटरों पर कामगार मास्क बनाने में जुटे - कोरोना महामारी से निपटने के लिए हर परिवार को 6 मास्क उपलब्ध कराने का मुहिम रंग लाने लगा है। जिला प्रशासन द्वारा जिले में जिला औधोगिक नवप्रवर्तन योजना अंतर्गत बसंतपुर गारमेंट्स और मरौना गारमेंट्स संचालित है। जबकि सदर प्रखंड के करिहो में भी जल्द कार्य शुरूकिया जाएगा। :: श्रमिकों के चेहरे पर है खुशी- प्रदेश से लौटे श्रमिकों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है। मरौना गारमेंट्स पर मास्क बना रही सविता ने कहा कि प्रदेश से लौटने पर काफी मायूस थी कि अब कैसे जिंदगी कटेगी। लेकिन घर लौटने के बाद रोजगार तो रोजगार आम लोगो के सहायता की जो जिम्मेदारी मिली इस खुशी को मैं बया नहीं कर सकती। हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव

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