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ग्रामीण बैंक कर्मी अपूर्ण वेतन पुनरीक्षण के खिलाफ वित्त मंत्री को भेजेंगे ज्ञापन

दरभंगा, 14 अप्रैल (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय के निर्णय की अनदेखी कर सरकार ग्रामीण बैंक कर्मियों के साथ भेदभाव कर रही है। जिसके खिलाफ देशभर में कार्यरत 43 ग्रामीण बैंको की 23 हजार शाखाओं के एक लाख अधिकारी और कर्मचारी आन्दोलन पर है। इसकी जानकारी देते हुए ऑल इण्डिया ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव डी एन त्रिवेदी ने बुधवार को बताया कि राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के अवार्ड को सम्पुष्ट करते हुए उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया था कि राष्ट्रीयकृत बैंको में जब-जब द्विपक्षीय वेतन पुनरीक्षण समझौता हो उसे ग्रामीण बैंक में भी लागू किया जाए। ताकि वेतन समरूपता बरकरार रहे। परन्तु भारत सरकार ने पहली अप्रैल को जारी अपनी अधिसूचना में नेशनलाईज्ड बैंक स्तर पर लागू ग्यारहवें वेतन समझौता को अधूरा लागू करने का निर्देश दिया है। विस्तृत जानकारी देते हुए उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के महासचिव प्रदीप कुमार मिश्र ने बताया कि अधिसूचना में कहा गया है कि अन्य भत्ते व अन्य लाभ का दूसरा भाग प्रायोजक बैंक तय करेगा। 1 नवम्बर' 2017 से बकाया वेतन का एक किस्त जनवरी-मार्च 2022 में तथा दूसरा किस्त उसके छह माह बाद दिया जायेगा। जो नये भत्ते व लाभ राष्ट्रीयकृत बैंक को मिले हैं, उसके संदर्भ में ग्रामीण बैंक के रिस्ट्रक्चरिंग के समय सोचा जाएगा। उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक इम्पलाईज फेडरेशन के महासचिव भोला पासवान ने कहा कि अधूरे वेतन पुनरीक्षण के खिलाफ 7 अप्रैल को ग्रामीण बैंक के प्रधान कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर वित्त सचिव को ज्ञापन भेजा गया है। साथ ही आगामी 21 अप्रैल को नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय के माध्यम से वित मंत्री निर्मला सीतारमण को ज्ञापन भेजा जाएगा । फिर भी, नोटिफिकेशन में समरूपता के लिए संशोधन नहीं किया गया, तो मई के प्रथम सप्ताह में दो दिनों का राष्ट्रव्यापी हड़ताल किया जायेगा। हिन्दुस्थान समाचार/मनोज/चंदा

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