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सीटी स्कैन की सुविधा सरकारी अस्पताल में नहीं,कैसे होगा मरीजों का इलाज

गोपालगंज,22 मई (हि.स.)। जिले की आबादी करीब 28 लाख से अधिक हो चुकी है लेकिन चिकित्सा व्यवस्था के हिसाब से यदि सीटी स्कैन की स्थिति का ही जायजा ले तो हमें अंदाजा हो जाएगा कि जिला चिकित्सा के क्षेत्र में कहां खड़ा है? आजादी के 73 वें साल बीतने के बाद अस्पताल में मरीजों के लिए मूलभूत सुविधा नसीब नहीं हो रही है। अगर किसी भी सरकारी अस्पताल में सीटी स्कैन की सुविधा रहती तो शायद 50 लोगों की जान बच गई होती। जबकि जिले की जनप्रतिनिधि शिखर पर पद रहे है। गोपालगंज ने बिहार को तीन मुख्यमंत्री के साथ एक उपमुख्यमंत्री,स्वास्थ्य मंत्री तक दिया। वर्तमान में जिले के तीन मंत्री बनाए गए है। सूत्रों की माने तो राजद के विधायक प्रेमशंकर यादव ने अपने विधायक फंड के एक करोड़ 35 लाख और खनन मंत्री जनक राम ने विधान परिषद् के मद् से 50 लाख रूपए काेरोना महामारी से लोगों के उबारने के लिए जिला प्रशासन काे अनुशंसा पत्र दिया है। लेकिन सामाचार लिखे जाने तक न ताे उनके फंड की राशि जिला को प्राप्त हुई है न उन राशि से किसी भी कोरोना मरीजों को कोई लाभ मिला है। अस्पताल कर्मी बताते है कि नेताओं के द्वारा दिए गए राशि की जानकारी जिला के लोगों काे फेसबुक के जरिए उनके आईटी सेल द्वारा कराया गया है। जिसका नतीजा होता है मरीज और मरीजों के परिजन अस्पताल पर अपना गुस्सा निकालते है। कोरोना के रोज सैकड़ों मरीज आ रहे हैं और रोज कई मौतें हो रही है। दूसरी लहर में कोरोना का नया स्टेन तेजी से लंग्स को खराब कर रहा है। ऐसे हालात में लंग्स की जांच के लिए सीटी स्कैन जान बचाने वाली मशीन है। अफसोस की बात है कि जिले की बड़े सदर अस्पताल, 3 रेफरल 6 सीएचसी और 3 पीएचसी,एक अनुमंडलीय अस्पताल हथुआ में एक भी सीटी स्कैन मशीन नहीं है। शहर में प्राइवेट सीटी स्कैन सेंटर पर रोगियों को 1:30 से 2 घंटे में ही जांच रिपोर्ट मिल रही है। यहां 4000 से लेकर 5000 रुपए तक लिए जा रहे हैं। ऐसे में लंग्स की जांच के लिए गांवाें के कोरोना के मरीजों को उनके पास जाना पड़ता है। सूत्र बताते है कि जब सरकारी अस्पताल में सीटी स्कैन नहीं है तो डॉक्टर प्राइवेट लैब से मरीजों की सीटी स्कैन करवाने के लिए रेफर करते हैं, जहां कमीशन तय है। जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में सीटी स्कैन की मांग लंबे समय तक की गई। उसके बाद इतने नेताओं के रहने के बाद व्यवस्था नहीं हो सकी। इसकी आवश्यकता दुर्घटना के दौरान सिर की चोट के मरीजों को सीधे गोरखपुर और पटना रेफर किया जाता है। जिससे कई लोगों की मौत जाने के दाैरान रास्ते में ही जाती है। इसके अलावा सरकारी किसी भी अस्पातल में सीटी स्कैन की सुविधाएं नहीं है। हालांकि निजी अस्पातल में ये सुविधा है, लेकिन अधिकांश गरीब मरीज वहां भारी भरकम फीस नहीं दे पाता है। कोरोना संक्रमण के कारण लंग्स की सीटी स्कैन ज्यादा हो रहे हैं। जबकि पूर्व में सिर की प्रोब्लम एवं सिर पर चोट की वजह से ही सीटी स्कैन होती थी। कोरोना संक्रमण के कारण लंग्स में आ रही बीमारी को देखते हुए डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने शहर के अरार मोड़ स्थित श्रीराम स्कैन सेंटर को प्रति मरीज 3000 हजार रूपए लेकर सीटी स्कैन करने का रेट तय किया। लेकिन डीएम के रेक तय करने के बाद भी मरीजों से 3000 हजार के बजाय 5000 रूपए लिया जाने लगा। अस्पताल सूत्रों की माने तक कोरोना के कारण अप्रैल माह में 109 एवं मई में अब तक 250 सीटी स्कैन हो चुकी है। इसमें दिनों बढोतरी ही हो रही है। हिन्दुस्थान समाचार/अखिला/चंदा

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