
बिहार, रफ्तार डेस्क। बिहार के मुख्यमंत्री ने 3 अक्टूबर की बैठक में साफ़ कर दिया था कि शीतकालीन सत्र में जातीय जनगणना के आर्थिक और शैक्षणिक आकड़े पेश किये जाएगें। जिसे आज बिहार विधानसभा में पेश किया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार की कुल 13.07 करोड़ आबादी में 7 प्रतिशत ग्रेजुएट, 11वीं और 12वीं तक की शिक्षा 9.19 फीसदी आबादी के पास, 9 से 10 तक की शिक्षा 14.71 फीसदी आबादी के पास, क्लास 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 फीसदी आबादी के पास, क्लास 1 से 5 तक की शिक्षा 22.67 आबादी के पास हैं, वहीं बिहार की सवर्ण जातियों के 25.9 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा से नीचे आते है।
केंद्र ने जातिगत जनगणना पर जताई थी अपनी आपत्ति
जब बिहार सरकार ने बिहार में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था, तो केंद्र ने इसपर अपनी आपत्ति जताई थी। केंद्र सरकार का कहना था कि जातीय जनगणना का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है। जब केंद्र ने इस जनगणना के लिए अपनी आपत्ति व्यक्त करी, तो बिहार सरकार ने अपने स्तर से जाति आधारित जनगणना का निर्णय लिया। बिहार के मुख्यमंत्री ने 3 अक्टूबर की बैठक में साफ़ कर दिया था कि शीतकालीन सत्र में सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के आकड़े रखे जायेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जातीय जनगणना रिपोर्ट में दी अपनी प्रतिक्रिया
रविवार को मुजफ्फरपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जातीय जनगणना रिपोर्ट के आकड़ो की चर्चा करते हुए कहा था कि बिहार सरकार ने इस रिपोर्ट में यादवो और मुसलमानो की संख्या जानबूझकर बढ़ा चढ़ा कर दिखाई है। अमित शाह का कहना था कि प्रदेश सरकार यादवो और मुसलमानो को सीधे लाभ पहुँचाना चाहती है। उनके अनुसार अन्य जाति के आकड़े इस जनगणना रिपोर्ट में कम दिखाये गए हैं।
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