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कोरोना महामारी के दौरान निर्बाध रूप से संचालित हो रही है बरौनी रिफाइनरी

बेगूसराय, 08 मई (हि.स.)। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण पूरी देश-दुनिया अस्त-व्यस्त है। लोग परेशान हैं, औद्योगिक संस्थानों में उत्पादन पर असर पड़ा है। लेकिन इन सारे झंझबात के बीच इंडियन ऑयल की बरौनी रिफाइनरी ना केवल कोरोना महामारी के दौरान निर्बाध रूप से पेट्रोलियम पदार्थों का उत्पादन कर रही है, बल्कि पूर्वी क्षेत्र और पड़ोसी देश नेपाल की ईंधन जरूरतों को पूरा कर रही है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले महीने में बरौनी रिफाइनरी ने मासिक योजना के अनुसार क्रूड ऑयल प्रोसेस किया तथा पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन कर रही है। लॉकडाउन के दौरान अभी तक पेट्रोल एवं डीजल की मांग पर प्रभाव नहीं पड़ा है और रिफाइनरी को सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है, जिससे मौजूद ईंधन की मांग पूरी हो सके। कोरोना के कहर से बरौनी रिफाइनरी टाऊनशिप में भी कई लोग संक्रमित है और उनकी देख-रेख के लिए रिफाइनरी प्रबंधन जिला प्रशासन के सहयोग से कई कदम उठा कर रही है। कोरोना के बढ़ते लहर को ध्यान में रखते हुए टाऊनशिप निवासियों और ठेका श्रमिकों को निरंतर कोरोना उपयुक्त व्यवहार अपनाने के लिए जागरूक एवं प्रेरित किया जा रहा है। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दल के लोग और सामाजिक कार्यकर्ता बरौनी रिफाइनरी में ऑक्सीजन बनाने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि बरौनी रिफाइनरी के पास दो-दो क्रायोजेनिक प्लांट्स हैं, जिससे आसानी से मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकता है। रिफाइनरी द्वारा कैटालिक रिफॉर्मिंग यूनिट में नाईट्रोजन का उत्पादन किया जा रहा है। सामान्य तकनीकी बदलाव के साथ इसे माइनस 180 से 185 डिग्री पर ले जाकर आसानी से ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है। इस संबंध में भी बरौनी रिफाइनरी प्रबंधन ने अपना पक्ष रखा है। रिफाइनरी प्रबंधन का कहना है कि बरौनी रिफाइनरी में ऑक्सीजन बनाने का प्लांट नहीं है। नाइट्रोजन प्लांट से ऑक्सीजन के उत्पादन के संबंध में प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि नाइट्रोजन प्लांट से ऑक्सीजन नहीं बनाता है। केवल प्रेशर स्विंग एडजोर्ब्शन (पीएसए) आधारित नाइट्रोजन प्लांट से ही ऑक्सीजन सेपरेट कर बनाया जा सकता है ।लेकिन बरौनी रिफाइनरी का नाइट्रोजन प्लांट पीएसए आधारित नहीं है और मौजूदा नाइट्रोजन प्लांट को पीएसए आधारित बनाना तकनीकी रूप से संभव नहीं है। इसलिए बरौनी रिफाइनरी से इंडस्ट्रियल या मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं हो रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र

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