बिहार में मुखियाओं की ललकार, नहीं करेंगे कार्य; इस दिन से कर रहे हैं हड़ताल का आह्वान

संवैधानिक अधिकार में कटौती किए जाने के खिलाफ 16 से 31 अगस्त तक बिहार के सभी मुखिया हड़ताल पर रहेंगे।
बिहार में मुखियाओं की ललकार,
बिहार में मुखियाओं की ललकार,

बेगूसराय, हि.स.। संवैधानिक अधिकार में कटौती किए जाने के खिलाफ 16 से 31 अगस्त तक बिहार के सभी मुखिया हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान पंचायत के किसी कार्य का निष्पादन नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी अगर सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं करेगी तो चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।

प्रथम चरण में हड़ताल और कार्यों का करेंगे बहिष्कार

सोमवार को जिला मुखिया संघ द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी जिलाध्यक्ष मो. अहसान ने दी। उन्होंने कहा कि राज्य संघ के आह्वान पर जिला मुखिया संघ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए अपने अधिकार की रक्षा की मांग को लेकर 16 से 31 अगस्त तक प्रथम चरण में हड़ताल और कार्यों का बहिष्कार करेंगे, पंचायतों में कार्य ठप रहेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार पंचायतों को संविधान प्रदत अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है पंचायतों को ना तो संविधान प्रदत्त अधिकारों के अनुसार काम करने दिया जा रहा है और ना ही जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा की गारंटी मिल रही है। बिहार सरकार जन प्रतिनिधियों को आत्मा रक्षा के लिए हथियार की लाइसेंस भी नहीं दे रही है।

अपनी एकजुटता और ताकत करेंगे प्रदर्शित

आपराधिक घटना में मृत जनप्रतिनिधियों के परिजनों को 50 लाख रुपये मिलनी चाहिए। त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों के वर्तमान मानदेय को बढ़ाते हुए 25 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाए। पंचायतों में 29 विषयों पर स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करने दिया जाए। ग्राम सभा के निर्णय को शत-प्रतिशत लागू करने का अधिकार दिया जाए। हड़ताल के बीच 22 अगस्त को सभी प्रखंड मुख्यालय एवं 29 अगस्त को जिला मुख्यालय में एक दिवसीय धरना दिया जाएगा। जिसमें हम अपनी एकजुटता और ताकत प्रदर्शित करेंगे। अधिकारों का हनन किया गया तो हम चुप नहीं बैठेंगे। ग्रामीण विकास की सबसे बड़ी और पहली इकाई ग्राम पंचायत के अधिकार में कटौती का असर आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।

ग्राम सभा में क्या निर्णय है लेना

उन्होंने कहा कि 1993 में ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए 29 विषय संसद में पारित कर अधिकार दिया गया। लेकिन आज हम किसी को भी राशन, पेंशन या आवास नहीं दे पा रहे हैं। ग्राम सभा में क्या निर्णय लेना है, यह भी सरकार ही तय करके भेजती है। गांधीजी के ग्राम स्वराज का सपना ध्वस्त हो गया है। इस वित्तीय वर्ष में पंचायत के विकास का पैसा अब तक नहीं दिया गया है। प्रेसवार्ता में उपस्थित संघ के उपाध्यक्ष अनिल कुमार, कोषाध्यक्ष मो. इजहार अंसारी, सचिव अरविंद कुमार राय, रजौड़ा मुखिया अहमद हुसैन एवं मुखिया मुरारी कुमार ने भी अधिकार में किए जा रहे कटौती के विभिन्न पहलुओं को सामने रखा। इन लोगों ने भी इसके खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन की बातें कही है।

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