नई दिल्ली रफ्तार डेस्क। प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां पूरी हो गई है और 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम विराजित होंगे, फिर इसके बाद सभी भक्तों को अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के दर्शन आसानी से होंगे। प्राण-प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:29:08 से 12:30:32 तक का है। ये 84 सेकेंड्स का समय आज पूरे दिन में काफी महत्पूर्ण है। आइए जानते है इस 84 सेकंड में क्या क्या होगा खास।
22 जनवरी को भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो रहीं है। जिसके दौरान एक भव्य कार्यक्रमचल रहा है। आप को बता दे की हिंदू धर्म में किसी भी मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करना एक अनिवार्य कार्य माना जाता है। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पंचांग के माध्यम से विशेष मुहूर्त निकाले जाते हैं। इस लिहाज से अयोध्या राम मंदिर में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख का चुनाव विद्वान ज्योतिषाचार्यों के द्वारा किया गया है।22 जनवरी 2024 को पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश का अत्यंत शुभ संयोग है।
22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट और 32 मिनट 'प्रतिष्ठित परमेश्वर' मंत्र के उच्चारण और विधि-विधान के साथ भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसके लिए देश भर के 121 विद्वान पंडितों और ज्योतिषाचार्यों आए हैं। लेकिन यह विधान 28 पड़ितों द्वारा सम्पूर्ण किया जाएगा। इस 84 सेकंड में 23 मंत्रों का भी जाप किया जाएगा। भगवान की प्राण प्रतिष्ठाके लिए मंत्रो का जाप करना काफी महत्व हैं।
मानो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं,
तनोत्वरिष्टं यज्ञ गुम समिमं दधातु विश्वेदेवास इह मदयन्ता मोम्प्रतिष्ठ ।।
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च अस्यै, देवत्व मर्चायै माम् हेति च कश्चन ।।
ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नमः सुप्रतिष्ठितो भव, प्रसन्नो भव, वरदा भव ।।
ॐ प्राणमाहुर्मातरिश्वानं, वातो ह प्राण उच्यते।
प्राणे हं भूतं भव्यं च, प्राणे सर्वं प्रतिष्ठितम् ॥
ॐ ओं हीं कयरल वं शंषंसं हे लक्ष हंस।
अस्या भगवता रामचंद्रस्यप्रतिमाया प्राणा इह प्राणा।
ऊँओं ह्रीं कयरल वंशं, षं से नक्ष हस।
अस्या प्रतिमाया जीव इह स्थित।
ॐ ओं ह्रीं क्रों यरल वंशंषसहले क्षहस।
अस्या प्रतिमाया सर्वेन्द्रियाणि, वाङ् मनस्त्वक् चक्षु श्रोत्रजिह्वा ।
घ्राणपाणिपादपायूपस्थानि, इहेवागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।।
अन्य ख़बरों के लिए क्लिक करें - www.raftaar.in