500 साल का इंतज़ार हुआ खत्म, जानें विवादित ढांचे से लेकर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तक का कैसा रहा सफर?

Ayodhya Ram Mandir: आज राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सम्पूर्ण हो चुकी हैं। सभी रामभक्तो का 500 साल का इंतज़ार आज समाप्त हो गया है।
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अयोध्या, रफ्तार डेस्क। आज राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सम्पूर्ण हो चुकी हैं। सभी रामभक्तो का 500 साल का इंतज़ार आज समाप्त हो गया है। चारो ओर हर्षोउल्लास का माहौल है। जब भी राम मंदिर का जिक्र होगा, तो उससे जुड़े आंदोलन और इतिहास की चर्चा होना भी स्वाभाविक है। रामभक्तो के एक बड़े संघर्ष और बलिदान के बाद आज यह ऐतिहासिक क्षण पूरी दुनिया के सामने आया है। इतने सालो तक रामलला को तिरपाल की छांव में देखकर पूरी दुनिया के रामभक्तो का दिल भर आता था। आज का दिन 22 जनवरी 2024 इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जायेगा।

कार का अर्थ होता है कर यानी हाथ और सेवक का मतलब है सेवा करने वाला

जैसे ही मंदिर के निर्माण का कार्य पूरा हुआ और प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की तैयारी अपने जोरो पर चली तो एक शब्द "कारसेवक" भी काफी ट्रेंड करने लगा। वैसे तो अधिकतर लोग इस शब्द के बारे में भले से परिचित हैं। लेकिन कई लोगो के लिए यह शब्द "कारसेवक" नया है और वे इसके बारे में जानना चाहते हैं। दरअसल कार सेवक शब्द संस्कृत से लिया गया है। जिसमे कार का अर्थ होता है कर यानी हाथ और सेवक का मतलब है सेवा करने वाला। जो भी लोग किसी धार्मिक कार्य या संस्था के लिए परोपकार का कार्य बिना किसी स्वार्थ से करते हैं, उन्हें कार सेवक कहते हैं।

पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने राम मंदिर को लेकर सबसे महत्वपूर्ण फैसला सुनाया

राम मंदिर के इतिहास में साल 2020 सबसे महत्वपूर्ण रहा। 5 अगस्त 2020 का दिन तो सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो चूका है, इस दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होकर अयोध्या को धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में पूरी दुनिया के सामने ला दिया। वर्ष1528 से लेकर वर्ष 2020 के बीच में राम मंदिर को लेकर कई अहम मोड़ आए। जिसमे सबसे ज्यादा सुर्खियों का केंद्र 9 नवंबर 2019 का दिन रहा, जब पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने राम मंदिर को लेकर सबसे महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।

वर्ष 1528 से लेकर वर्ष 2024 तक राम मंदिर का सफर

वर्ष 1528 में अयोध्या के विवादित जगह पर मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। उस समय हिन्दू समुदाय ने दावा किया था कि जिस जगह बाबर ने यह मस्जिद बनवायी है, वो जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और वहां एक प्राचीन मंदिर था। हिन्दू पक्ष के दावे के अनुसार बाबरी मस्जिद के तीन गुंबदों में से मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था।

वर्ष 1853 से 1949 तक के राम मंदिर के इतिहास में वर्ष 1853 में राम मंदिर और मस्जिद को लेकर पहली बार दंगे हुए थे। साल 1859 में अंग्रेजो ने बढ़ते विवाद को देखते हुए विवादित जगह के पास बाड़ लगा दी थी। जहां इजाजत के अनुसार मुसलमान ढांचे के अंदर और हिन्दू बाहर चबूतरे पर पूजा करते थे।

राम मंदिर का असली विवाद शुरू होता है दिनांक 23 दिसंबर 1949 को, इस दिन श्रीराम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गई। उस समय की प्रदेश सरकार ने मूर्तियों को हटाने का आदेश दे डाला था। हिन्दू पक्ष का कहना था की श्रीराम प्रकट हुए हैं और वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि किसी ने चुपके से मूर्तियां रख दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उस समय के जिला मैजिस्ट्रेट केके नायर ने यूपी सरकार के आदेश को पूरा करने से इंकार कर दिया था। इसी कारण यूपी सरकार ने विवादित ढांचा बताकर उसपर ताला लगवा दिया था।

इसके बाद 1950 में मामला कोर्ट तक पंहुचा और फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो मामले दर्ज किये गए। इसमें एक मामले में प्रभु रामलला की पूजा अर्चना की इजाजत और दूसरे मामले में प्रभु राम की मूर्तियां रखे रहने की इजाजत मांगी थी। इसी मामले में वर्ष 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने भी तीसरी अर्जी कोर्ट में लगाई थी। इस तरह वर्ष 1950 से राम मंदिर का मामला कोर्ट तक पंहुचा था।

वर्ष 1961 में मुस्लिम पक्ष यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में अर्जी लगाकर विवादित स्थान पर उनका कब्ज़ा देने और भगवान राम की मूर्तियों को हटाने की अपनी मांग कोर्ट में रखी थी। वर्ष 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित ढांचे में मंदिर बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। वर्ष 1986 को भगवान राम को लेकर हिन्दू के पक्ष में फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को पूजा करने की इजाजत दी और विवादित ढांचे से ताला तोड़ने के आदेश दिए। यह याचिका यूसी पांडे ने फैजाबाद कोर्ट में डाली थी।

दिनांक 6 दिसंबर 1992 को विश्व हिन्दू परिषद् और शिवसेना सहित अन्य छोटे बड़े हिन्दू संगठनों ने मिलकर अपने लाखो कार्यकर्ताओ के साथ मिलकर अयोध्या में विवादित ढांचे को गिरा दिया था। इसको लेकर पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिसमे दो हजार से अधिक लोग मारे गए थे।

वर्ष 2002 में गोधरा आग कांड को अंजाम दिया गया, दरअसल वर्ष 2002 में हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में साजिश के तहत आग लगा दी गई थी, जिसमे 58 लोगो की मौत हुई। इसके कारण गुजरात में दंगे हुए, जिसमे दो हजार से अधिक लोगो की मौत हुई।

वर्ष 2010 में राममंदिर के मामले की सुनवाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को तीन बराबर हिस्सों में बाटने का आदेश दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पंहुचा और वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा डाली। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में दोनों पक्षों को आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का निर्देश दिया था। साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओ पर आपराधिक साजिश के आरोप बहाल कर दिए गए थे।

दिनांक 8 मार्च 2019 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्ता के लिए भेजा था। एक पैनल बनाया गया, जिसको आठ हफ्तों में कार्यवाही समाप्त करने को कहा गया। मध्यस्थता पैनल ने 1 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट पेश की। अगले दिन 2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को देखने के बाद कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान करने में विफल रहा। मामले की गंभीरता को देखते हुए दिनांक 6 अगस्त 2019 से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई रोजाना हुई। दिनांक 16 अक्टूबर 2019 को यह सुनवाई पूरी हुई और सर्वोच्च कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

दिनांक 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के 5 जजों की बेंच ने एक ऐतहासिक फैसला सुनाते हुए, राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनवाया। जिसमे 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन दिलाने का आदेश सरकार को दिया। दिनांक 25 मार्च 2020 को भगवान राम लगभग 28 वर्ष बाद टेंट से निकलकर फाइबर के मंदिर में विराजमान हुए थे।

दिनांक 5 अगस्त 2020 को इतिहास के पन्नो में दर्ज कर लिया गया है, इस दिन राम मंदिर का भूमि पूजन का कार्य शांति के साथ संपन्न हुआ था। जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, साधू संत समेत अन्य वरिष्ठ लोग शामिल थे।

राम मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण दिन आज का है, आज दिनांक 22 जनवरी 2024 को राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम बड़े धूमधाम से संपन्न हो चूका है। सभी रामभक्त इस कार्यक्रम को टीवी के माध्यम से अपने घरो और कार्यालयों से देखकर अति प्रसन्न थे। कल से आम लोगो के लिए भी मंदिर के द्वार खुल जायेंगे। यह थी राममंदिर की पूरी कहानी।

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