Northeast Tribal Education Committee annual general meeting concluded
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पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति की वार्षिक साधारण सभा संपन्न

-नयी शिक्षा नीति के जरिए मौलिकता के अनुरूप युगानुकूल शिक्षा व्यवस्था का क्रियान्वयन करेगी सरकार- सांसद दिलीप सैकिया गुवाहाटी, 10 जनवरी (हि.स.)। पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति की साधारण सभा गुवाहाटी के राज्य चिड़ियाघर के निकट विष्णुपथ स्थित शंकरदेव विद्या निकेतन के प्रेक्षागृह में रविवार को आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के अध्यक्ष सदा दत्त द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में शंकरदेव विद्या निकेतन विष्णुपथ के आचार्य -आचार्याओंव विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत वंदना गीत से एक आध्यात्मिक वातावरण का संचार हुआ है। इस मौके पर गत वर्ष देश तथा समाज कल्याण के लिए अपना जीवन न्यौच्छावर करने वाली विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक मिनट का मौन रखा गया। डॉ पवन तिवारी ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का परिचय कराया। विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री ब्राह्माजी राव ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने देशप्रेम के आदर्शों के अनुरूप शिक्षा नीति के जरिए देशसेवा के मनोभावों को युवाओं के मन में बीजारोपण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विद्या शिक्षा को देश सेवा, जगत सेवा के साथ जोड़ने से देश का सर्वांगीण विकास संभव होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति ने पूर्वोत्तर के दुर्गम जनजाति अंचलों में ज्ञान का द्वीप जलाया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 97 विद्यालय और 540 एकल विद्यालयों की संख्या समग्र पूर्वोत्तर में होने जा रही है। रविवार को आयोजित सभा के मुख्य अतिथि मंगलदै लोकसभा के सांसत व भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तथा विद्या भारती के पूर्व कार्यकर्ता दिलीप सैकीया ने कहा कि भारत सरकार नयी शिक्षा निति के तहत मौलिकता के अनुरूप एक युगानुकूल शिक्षा व्यवस्था क्रियान्वित करेगी। एक विज्ञान सम्मत मूल्यबोध आधारित शिक्षा के द्वारा विद्या भारती के निकेतनों ने सभी विद्यार्थियों के मन में राष्ट्रीयबोध को जागृत करके समाज को एकजुट करने में सक्षम होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के असम क्षेत्र प्रचारक उल्लास कुलकर्णी ने कहा कि सरकारी सहायता के बिना भी भारतीय संस्कृति, सभ्यता के शिक्षा क्षेत्र के विस्तार में विद्या भारती प्रंशसनीय काम कर रहा है। कुलकर्णी ने कहा कि पूर्वोत्तर के सीमावर्ती इलाकों में भी उन्नत शिक्षा प्रदान करने के लिए विद्यालय होने चाहिए। पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के सचिव सांचीराम पायेंगे ने 2019-20 वर्ष का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। सभा में पूर्वोत्तर भारती, पूर्वोत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ जयकांत शर्मा, पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के सलाहकार लंकी फांग्सो, शिशु शिक्षा समिति असम के हमासचिव कुलेन्द्र कुमार भागवती, असम, मेघालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष रिनोमो चूंहो, विद्या भारती के पूर्व छात्र तथा आयकर विभाग के सह आयुक्त वरुणा यादव समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद-hindusthansamachar.in

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