असम भी यूनिफॉर्म सिविल कोड की राह पर, हिमंत बिस्वा सरकार के एक निर्णय से मिले संकेत?

UCC: असम भी उत्तराखंड की राह में आगे बढ़ गया है, राज्य सरकार ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड(UCC) को लागू करने के सकेंत दे दिए है।
Himanta Biswa Sarma
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। असम भी उत्तराखंड की राह में आगे बढ़ गया है, राज्य सरकार ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड(UCC) को लागू करने के सकेंत दे दिए है। असम सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मुस्लिम मैरिज एक्ट को खत्म कर दिया है। यह असम सरकार का काफी बड़ा फैसला है। यह यूसीसी की तरफ बढ़ने का असम सरकार का पहला कदम है।

अभी तक सरकार ने इसका कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है

असम सरकार ने शुक्रवार को एक बैठक बुलाई थी जिसमे उन्होंने मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट 1930 को खत्म कर दिया। इसके लिए हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार ने राज्य में बाल विवाह को रोकने का कारण दिया। वहीं राजनीतिक विश्लेषक हिमंत सरकार के इस फैसले को राज्य में जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड की तरफ बढ़ने वाला पहला कदम बता रहे हैं। अभी तक सरकार ने इसका कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। लेकिन चर्चाओं का बाजार गरम है।

नया कानून बनाने की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है

गौरतलब है कि हिमंत बिस्वा सरकार ने कुछ समय पहले ही एक कमेटी बनायीं थी, जिसको हाई कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में बनाया गया था। उस समय कहा गया था कि इस्लाम में एक से अधिक विवाह अनिवार्य नहीं है। इसलिए इस प्रथा को तोड़ने के लिए नए कानून बनाने की आवश्यकता की बात हुई थी। शुक्रवार को असम सरकार ने मुस्लिम मैरेज एक्ट खत्म करके नया कानून बनाने की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है।

लेकिन अब यूनिफॉर्म सिविल कोड आ जाने से ऐसा नहीं होगा

अब आते है उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड(UCC) पर और इस कानून की थोड़ी जानकारी ले लेते हैं। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड के कारण उत्तराखंड में मुस्लिम से लेकर हिन्दुओं के लिए काफी कुछ बदलाव हुआ है। जहां मुस्लिम धर्म में शादी की कोई उम्र तय नहीं थी, जब उनके माता पिता को लगता था कि लड़का और लड़की शादी के लिए अब लायक हो गए हैं तो उनकी शादी करवा दी जाती थी। लेकिन अब यूनिफॉर्म सिविल कोड आ जाने से ऐसा नहीं होगा। अब UCC के तहत लड़का और लड़की की उम्र शादी के लिए तय कर दी गयी है। जहां लड़की की उम्र 18 साल तय की गई है, वहीं लड़के की उम्र 21 होनी चाहिए। वहीं इस UCC के तहत मुस्लिम में एक से अधिक विवाह पर रोक लग गई है। पास हुए इस बिल के अनुसार अगर पहली शादी में तलाक नहीं हुआ है तो दूसरी शादी नहीं हो सकती है।

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