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असम चुनाव: बीपीएफ के लिए कांग्रेस छोड़ेगी बोड़ोलैंड की 12 विस सीटें

गुवाहाटी, 11 मार्च (हि.स.)। असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) असम के बोड़ोलैंड की सभी 12 सीटों को अपने पुराने साथी बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) को छोड़ने का इशारा दे दिया है। बीपीएफ अध्यक्ष हग्रामा महिलारी कांग्रेस के महागठबंधन में इसी शर्त पर संभवतः शामिल हुए हैं कि बोड़ोलैंड की सभी 12 सीटें उसे मिलेंगी। बीपीएफ भाजपा नेतृत्वाधीन असम सरकार में शामिल थी। लेकिन भाजपा ने बीपीएफ के बदले यूपीपीएल के साथ गठबंधन कर लिया, जिसके चलते बीपीएफ भाजपा को छोड़ कांग्रेस में फिर से शामिल हो गयी है। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक सीटों को लेकर औपचारिक ऐलान नहीं किया है। सूत्रों के अनुसार पुरानी पार्टी कांग्रेस ने हग्रामा को बोड़ोलैंड की 12 सीटों को थाल में सजाकर पेश करने का अंतिम निर्णय ले लिया है। बुधवार को एपीसीसी के अध्यक्ष रिपुन बोरा और असम प्रभारी जितेंद्र सिंह ने गुवाहाटी के होटल ताज विवांता में एक बैठक की, जहां सीट बंटवारे और अन्य सहयोगियों को लेकर चर्चा की गई। कांग्रेस चाहती है कि हाग्रामा बोड़ोलैंड के बाहर उन सीटों पर भी महागठबंधन के लिए प्रचार करें, जहां पर बोड़ो समुदाय के मतदाता हैं जिससे महागठबंधन को लाभ मिल सके। प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा ने मीडिया को संकेत दिया कि चूंकि कांग्रेस के पास कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में जीतने की संभावना थी, इसलिए वे बीटीसी क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे, इसके बावजूद बोड़ोलैंड की सीटों पर जीत को पक्का बनाने के लिए हग्रामा के लिए छोड़ने पर विचार किया जा रहा है। इसके पीछे असम से भाजपा की सत्ता को उखाड़ फेंकना है। इसके लिए कांग्रेस कुछ सीटों का बलिदान करने के लिए भी तैयार है। कांग्रेस चाहती है कि बीपीएफ प्रमुख हग्रामा महिलारी ऊपरी असम, मध्य असम, निचले असम और यहां तक कि चर (नदी के छाड़न वाले) क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार करें। हग्रामा कांग्रेस के प्रस्ताव पर सहमत हो गए हैं। बैठक में महिलारी के साथ उनके खम्फा बर्गियारी भी मौजूद थे। बीपीएफ के एक सूत्र के मुताबिक हग्रामा महिलारी कांग्रेस नेतृत्वाधीन महागठबंधन के उम्मीदवारों के लिए कम से कम 18 सीटों पर प्रचार करेंगे। पहले चरण के लिए बीपीएफ ढेकियाजुली, बोरसोला, रंगापारा, गोहपुर, सोतिया, बिहपुरिया, धेमाजी, जोनाई, गोलाघाट, सरूपथार में चुनाव प्रचार करेंगे। वर्ष 2006 में पहली बार तरुण गोगोई की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार बीपीएफ के समर्थन के कारण ही सत्ता में आई थी। गोगोई सरकार में बीपीएफ गठबंधन सहयोगी के रूप में सरकार में हिस्सेदार थी। बीपीएफ ने 2014 में अपना रुख बदल दिया और लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के साथ मिल गयी। इसने 2016 के असम विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ अपना गठबंधन जारी रखते हुए 12 सीटें जीतकर राज्य की सत्ता में साझेदारी की। भाजपा सरकार में बीपीएफ कोटे से तीन मंत्री बनाए गए थे। हाल ही में संपन्न हुए बीटीसी चुनावों के दौरान बीपीएफ और भाजपा की साझेदारी खत्म हो गई। बीटीसी चुनाव बाद भाजपा ने प्रमोद बोड़ो की नेतृत्व वाली यूपीपीएल के साथ बीटीसी परिषदीय सरकार बनाई। इससे नाराज बीपीएफ अध्यक्ष हग्रामा ने इस बार के चुनाव में हर हाल में भाजपा को सबक सिखाने का ठान लिया है। हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद

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