महिलाएं बन रही स्वावलंबी, तैयार कर रही हैंड मेड सेनेटरी पैड

महिलाओं को जागरुक करने के लिए आंध्र प्रदेश की रहने वाली दो महिलाएं पैड बनाने का काम करती हैं। इनके द्वारा बनाया गया पैड काफी हाईजिनिक होता है। उन्होंने बताया कि ये जल्द ही डी- कमोपज हो जाता है।
sanitary pad
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नई दिल्ली, (माधुरी सोनकर)। महिलाओं को कई तरीके की बीमारियां महावारी के दौरान हो जाती हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए सेनेटरी पैड का इस्तेमाल किया जाता है। इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश की रहने वाली अंजना ने बताया कि आज भी अधिकतर महिलाएं सेनेटरी पैड की जगह कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं। इसको लेकर वो लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं।

60 एमएल तक ब्लड को सोखता है

अंजना ने बताया कि वो सेनेटरी पैड बनाने का काम करती हैं। ये मार्केट के पैड से कहीं ज्यादा बेहतर है। जहां मार्केट में उपलब्ध पैड 30 एमएल तक सोखते है, तो वहीं इनके द्वारा बनाया गया सेनेटरी पैड 60 एमएल तक ब्लड को सोखता है।

मार्केट में उपलब्ध अन्य पैड के मुकाबले है सस्ते

रोहिणी ने बताया कि इनके द्वारा बनाए गए पैड में केमिकल कम मात्रा में पाया जाता है। ये काफी हाईजिनिक होता है। उन्होंने बताया कि ये जल्द ही डी- कमोपज हो जाता है। साथ ही ये मार्केट में उपलब्ध अन्य पैड के मुकाबले काफी सस्ते है।

एक दिन में लगभग 100 सेनेटरी पैड बनाती है

अंजना ने बताया कि सेनेटरी पैड बनाने के लिए वेंडिंग मशीन लगा रखी है। इससे कॉटन बेस्ट पैड तैयार किये जाते है। एक दिन में वो लगभग 100 सेनेटरी पैड बना लेती है।

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