Chandrayaan 3 Launch: चंद्रयान 3 मिशन शुरू, अब दूर नहीं चंदा मामा, देखें ISRO का साईकल से चांद तक का सफर

Chandrayaan-3 Launch Today: ISRO का मून मिशन 'चंद्रयान 3' चांद के लिए उड़ान भर चुका है। इस चंद्रयान 3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान है।
Chandrayaan-3 Launch
Chandrayaan-3 Launch

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। Chandrayaan 3 Launch Updates: भारत आज अपने बहुचर्चित चंद्रमिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया है। लाखों भारतीय इसका सीधा प्रसारण देख रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस दिन के लिए बड़ा संघर्ष देखा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसरो का सफर साइकिल और बैलगाड़ी के जरिए शरू हुआ था। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई ने 15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना की थी। ISRO की स्थापना के बाद वैज्ञानिकों ने पहले रॉकेट को साइकिल और बैलगाड़ी पर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले गए थे और भारत ने पहले रॉकेट के लिए नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया था। पहले रॉकेट के हिस्सों को साइकिल पर ले जाने से लेकर चंद्रमा पर पानी खोजने तक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी स्थापना के बाद से एक लंबा सफर तय किया है और अथक उत्साह के साथ अब तक अंतरिक्ष अभियानों का नेतृत्व कर रहा है।

ISRO journey
ISRO journey

यहां से शुरू हुआ सफर

सबसे पहले भारत में Indian Committee on Space Research (INCOSPAR) की स्थापना 1962 में भारत सरकार द्वारा भारत में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देने और समन्वय करने के लक्ष्य के साथ की गई थी। INCOSPAR के गठन के ठीक एक साल बाद, 1963 में, भारत ने अपना पहला रॉकेट अंतरिक्ष में लॉन्च किया था। ऊपरी वायुमंडल की जांच के लिए बनाए गए साउंडिंग रॉकेट को केरल के थुंबा के मछली पकड़ने वाले गांव में थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से लॉन्च किया गया था, जिसे अब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के रूप में जाना जाता है। डॉ. एपीजे अदबुल कलाम, जो उस समय रॉकेट लॉन्च टीम में थे, बताते हैं कि कैसे तैयारी शुरू होने से पहले INCOSPAR को एक स्थानीय चर्च से जमीन लेनी पड़ी और ग्रामीणों को स्थानांतरित करना पड़ा। फिर, वे रॉकेट घटकों को साइकिल के माध्यम से लॉन्च पैड तक ले जा रहे थे। अंततः 21 नवंबर, 1963 को उन्होंने डॉ. होमी भाभा जैसे प्रख्यात वैज्ञानिकों की उपस्थिति में रॉकेट लॉन्च किया।

Chandrayaan 3 Launch
Chandrayaan 3 Launch

आज ISRO भेज रहा अपना तीसरा चंद्र मिशन

आज ISRO देश के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह से तैयार है। चंद्रयान 3 को आज शुक्रवार (14 जुलाई) को श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। यह चंद्रमिशन साल 2019 के चंद्रयान 2 का अनुवर्ती मिशन है। आपको बता दें चंद्रयान-2 मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम पथ विचलन के चलते सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हुआ था। जिसके बाद भारत के वैज्ञानिकों का लक्ष्य इस तीसरे चंद्र मिशन में चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’का है। इसरो के महत्वाकांक्षी चंद्रयान प्रोजेक्ट को एलवीएम3एम4 रॉकेट शुक्रवार को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा।

क्या है LVM3 रॉकेट?

इसरो 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 लॉन्च करने जा रहा है। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत इसका रोबोटिक उपकरण 24 अगस्त तक चांद के उस हिस्से (शेकलटन क्रेटर) पर उतर सकता है जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है। इसी वजह से पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर हैं। पहले के मुकाबले इस बार चंद्रयान 3 का लैंडर ज्यादा मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर लैंड होगा। चंद्रयान 3 को LVM3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान 3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान है।

क्या है चंद्रयान 3 का लक्ष्य?

इसरो के एक अधिकारी ने कहा हमारा लक्ष्य इसे 13 जुलाई को प्रक्षेपित करने का है। चंद्रयान-3 मिशन के तहत चंद्रमा के चट्टानों की ऊपरी परत की थर्मोफिजिकल विशेषताएं, चंद्रमा पर भूकंप आने की बारंबारता, चंद्रमा की सतह पर प्लाज्मा वातावरण और उपकरण उतारे जाने वाले स्थान के निकट तत्वों की संरचना का अध्ययन करने वाले उपकरण भेजे जाएंगे। इसरो अधिकारियों के अनुसार, लैंडर और रोवर पर लगे इन वैज्ञानिक उपकरणों को 'चंद्रमा का विज्ञान' विषय में रखा जाएगा, जबकि प्रायोगिक उपकरण चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेंगे, जिन्हें 'चंद्रमा से विज्ञान' विषय में रखा जाएगा।

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