नई दिल्ली ऱफ्तार न्यूज डेस्क। 6फरवरी को तुर्किये में तबाही का एक ऐसा मंजर आया जिसे इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उस रात जब लोग गहरी नींद में शो रहे थे,तब भूकंप का जोरदार झटका महसूस हुआ। इस भूकंप के झटके ने कई बड़ी-बड़ी इमारतों को धराशायी कर उसे मलबे में तबदील कर दिया। वहीं चारो तरफ लोगों की चीखें, दर्द और मद्द की पुकार सुनाई देनी शुरू हो गई। हर चरफ एम्बुलेंस सायरन सुनाई पड़ने लगी और जो मलबे में फंसे थे उनको बाहर निकालने की कोशिश शुरु हो गई । इस झटके ने अब-तक 21000 से हजारों ज्यादा लोगों मौत के घाट उतार चुका है ।वहीं 50 हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे है।
तुर्किये में क्यों आते है इतने भूकंप
तुर्किये में बार-बार भूकंप आने का कारण टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। लगभग 8 करोड़ की आबादी वाला देश 4 टेक्टोनिक प्लेटों पर बसा है और एक प्लेट के हिलने से भी पूरा क्षेत्र जोरदार झटके महसूस करता है। तुर्किये का सबसे बड़ा हिस्सा एनाटोलियन प्लेट पर बसा है, जो दो प्रमुख प्लेटों, यूरेशियन और अफ्रीकी और एक छोटी, अरेबियन के बीच स्थित है। अफ्रीकी और अरब प्लेटें जैसे ही शिफ्ट होती हैं, पूरा तुर्किये जोर से कांपने लगता है।
तुर्किये की धरती के नीचे उपस्थित एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट एंटी क्लॉक डायरेक्शन में घूम रहा है। इसके साथ ही एक तरफ से इसे अरेबियन प्लेट धक्का दे रही है। इस दौरान ये यूरेशियन प्लेट से टकराती है. इसमें भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है और भूकंप के तगड़े झटके महसूस होते हैं। भूकंप से कितना नुकसान हो सकता है, ये उस क्षेत्र की आबादी और भूकंप केंद्र की गहराई पर भी निर्भर करती है।
भूकंप आने से तुर्किये को कितना नुकसान हुआ है
तुर्किये में भूकंप आने से काफी नुकसान हुआ है। हजारों लोगों की जानें गईं हैं जबकि लाखों करोड़ रुपए के संरचना को भी नुकसान हुआ है। वहीं करीब 6000 इमारतें पूरी तरह से गिर गईं हैं। जबकि देश के तीन बड़े-बड़े एयरपोर्ट भी ध्वस्त हो गए हैं। दक्षिण-पूर्वी तुर्की में 14 मिलियन (1 करोड़ 40 लाख) से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। तुर्की के उपराष्ट्रपति फिएट ओकटे की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 10 शहरों में 1,700 से अधिक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं हैं।
आइये जानते हैं विश्व इतिहास के कब –कब बड़े भूकंपों आए हैं
12 जनवरी, 2010: हैती में आये 7.0 तीव्रता वाले भूकंप में 3,16,000 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद इस देश की ऐतिहासिक संरचना और भौगोलिक स्वरूप में हमेशा के लिए व्यापक बदलाव हो गया था।
16 दिसंबर, 1920: चीन के हाईयुआन में 7.8 तीव्रता से भूकंप आया था। इस भूकंप में दो लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी। दशकों तक इस भूकंप की भयावहता के नकारात्मक परिणाम अनुभव किये गए थे।
1 सितंबर, 1923: जापान के कांतो में तेज भूकंप आया था। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.9 दर्ज की गयी थी। भूकंप की चपेट में आकर 1,42,800 लोगों की मौत हुई थी। भारी संख्या में लोग अपाहिज हुए थे।
15 जनवरी, 1934: नेपाल और भारत के बिहार राज्य को भीषण भूकंप का सामना करना पड़ा था। उस भूकंप की तीव्रता 8.0 दर्ज की गयी थी। इस भूकंप में 10,600 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी। हजारों लोग बेघर व अपाहिज हो गए थे।
22 मई, 1960: तीव्रता के लिहाज से अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप चिली में आया था। रिक्टर स्केल पर 9.5 तीव्रता वाले इस भूकंप की वजह से आई सुनामी से दक्षिणी चिली, हवाई द्वीप, जापान, फिलीपींस, पूर्वी न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में भयानक तबाही मची थी।