काशी विश्वनाथ मंदिर में अवरोध की मंशा से दाखिल अवमानना अर्जी हर्जाना के साथ खारिज
काशी विश्वनाथ मंदिर में अवरोध की मंशा से दाखिल अवमानना अर्जी हर्जाना के साथ खारिज

काशी विश्वनाथ मंदिर में अवरोध की मंशा से दाखिल अवमानना अर्जी हर्जाना के साथ खारिज

प्रयागराज, 19 जून (हि.स)। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट में अवरोध उत्पन्न करने की मंशा से प्रोजेक्ट का काम करा रहे अधिकारियों को दंडित करने के उद्देश्य से अवमानना याचिका दाखिल करने वाले याचीगणों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने तथ्य छिपाकर कोर्ट को गुमराह करने वाले याची पत्रकार व अन्य दो याची वकीलों पर 5-5 हजार रुपये हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने उनकी अवमानना याचिका हर्जाना के साथ खारिज कर दी है। कोर्ट के आदेश से अब काशी विश्वनाथ मंदिर कारीडोर प्रोजेक्ट के निर्माण व अन्य कार्य का रास्ता साफ हो गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी। कोर्ट ने कहा है कि एक पत्रकार दो वकीलों ने अधूरे गुमराह करने वाले तथ्यों के साथ कोर्ट आदेश की अवहेलना के आरोप में याचिका दाखिल की और स्वयं कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। कोर्ट ने आदेश में सख्त टिप्पणी की है कि तथ्य छिपाना वकालत नहीं है, जिसके लिए तीनों पांच-पांच हजार रुपये हर्जाने के तौर पर काशी विश्वनाथ विशेष एरिया विकास बोर्ड में एक माह मे जमा करे। कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट में साढे़ नौ लाख विचाराधीन मुकदमे है। ऐसी व्यर्थ की याचिकाएं न्याय प्रशासन में अवरोध उत्पन्न करने का काम कर रही है। यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड कानून के तहत गठित है। विभागों एवं कोर्ट से वाराणसी में गंगा घाटों के पौराणिक पुरातात्विक स्वरूप को कायम रखते हुए दर्शनार्थियों, पर्यटकों, स्थानीय लोगों को सुविधा प्रदान कर घाटों की मरम्मत व नव निर्माण की अनुमति ली गयी है। कोर्ट ने कहा है कि बिना सही तथ्य का पता लगाये अवमानना याचिका दाखिल की गयी है। याचिका दाखिल करने पर ही यह साबित करने का भार होता है कि कोर्ट आदेश की जानबूझकर अवहेलना की जा रही है। याची साबित करने में विफल रहे। खुद कोर्ट के पूरक हलफनामा दाखिल करने के आदेश का पालन नहीं किया। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी केशरवानी ने प्रदीप कुमार श्रीवास्तव व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अजय कुमार सिंह व विपक्षी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एम.सी चतुर्वेदी व विनीत संकल्प ने बहस की थी। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था और फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी है। मालूम हो कि कौटिल्य सोसायटी केस मे गंगा किनारे 200 मीटर एरिया में अवैध निर्माण के मामले मे कार्यवाही का आदेश हुआ। कोर्ट ने अधिकतम बाढ़ विन्दु से 200 मीटर तक निर्माण पर रोक लगा दी। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के निर्माण को कोर्ट के आदेश की अवहेलना करार देते हुए अवमानना याचिका दाखिल की गयी। कोर्ट ने याचियों से दस्तावेज मांगे। बिना हस्ताक्षर, बिना शपथ के पेपर दाखिल कर दिया और कहा कि लाकडाउन के कारण हलफनामा नहीं हो सका। विपक्षी की तरफ से आपत्ति की गयी कि याचिका अधूरे व गुमराह करने वाले तथ्यों के साथ दुर्भावना से प्रेरित होकर दाखिल की गयी है। बोर्ड कानून के तहत गठित है।कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए विकास कार्य किया जा रहा है। याचिका खारिज की जाय। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/राजेश/सुनीत-hindusthansamachar.in

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