Indo-America Joint Exercise: अलास्का में भारत-अमरिकी सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास जारी, दुश्मनों में मची खलबली

Indo-America: अमेरिकी राज्य अलास्का में भारत और अमेरिका की सेनाएं एक साथ युद्ध के मैदान में उतरी तो संयुक्त रणनीतिक विश्लेषण और युद्ध कौशल देखते ही बन रहा था।
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जुनो, हि.स.। अमेरिकी राज्य अलास्का में भारत और अमेरिका की सेनाएं एक साथ युद्ध के मैदान में उतरी तो संयुक्त रणनीतिक विश्लेषण और युद्ध कौशल देखते ही बन रहा था। 8 अक्टूबर तक चलने वाले भारत और अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने मिलकर अभ्यास किया। इस अभ्यास का लक्ष्य दोनों सेनाओं की ताकत को बढ़ाना और उनके रिश्ते को मजबूत करना है।

भारतीय सेना के 350 सैनिकों का दल भाग ले रहा है

अमेरिका और भारत के बीच वार्षिक युद्धाभ्यास के 19वें संस्करण में भारतीय सेना के 350 सैनिकों का दल भाग ले रहा है। भारत की मराठा लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंट और अमेरिका की ओर से फर्स्ट ब्रिगेड कॉम्बेट टीम की 1-24 इन्फेंट्री बटालियन ने इस संयुक्त युद्धाभ्यास की थीम ‘पर्वत व चरम मौसम के हालात में संयुक्त सैनिक समूह की तैनाती’ रखी है।

इस दौरान दोनों देशों की सैन्य ड्रिल की श्रेष्ठ पद्धतियों और दृष्टिकोण को एक-दूसरे के सामने रखा जाएगा। सैन्य कौशल, युद्ध से जुड़ी इंजीनियरिंग, लड़ाकू कार्रवाइयों के दौरान बाधाएं हटाने और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से युद्ध के तौर-तरीके भी आपस में साझा किये जाएंगे।

सैन्य ताकत बढ़ाने की क्षमताएं परखी जाएंगी

दोनों पक्ष टैक्टिकल ड्रिल की शृंखला का अभ्यास करेंगे। यह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की कार्रवाइयों में दोनों को साथ तैनात करने में मदद करेगा। अभ्यास के बाद चुने हुए विषयों पर अकादमी चर्चाएं होंगी। अपने अनुभवों और श्रेष्ठ कार्य पद्धतियों के बारे में भी आपस में विस्तृत बातचीत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह जमीनी युद्धाभ्यास दुश्मन सेना के सामने ब्रिगेड स्तर पर एक मिली-जुली सेना का प्रदर्शन जांचने में मदद करेगा। इससे ब्रिगेड व बटालियन स्तर पर संयुक्त निगरानी प्रणाली की जांच हो सकेगी।

इसके अलावा युद्धाभ्यास के दौरान हेलिकॉप्टर या विमानों से सैन्य कार्रवाइयों में सैनिक उतारने व सैन्य ताकत बढ़ाने की क्षमताएं परखी जाएंगी। ऊंचे स्थलों और चरम मौसम के हालात में सैन्य कार्रवाई के दौरान रसद सामग्री की जरूरतों, हताहत सैनिकों के लिए प्रबंधन, बचाव अभियानों, युद्ध के समय चिकित्सा सहायता पहुंचाने व अन्य पहलुओं का भी परीक्षण होगा।

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