जेएनयू का रहा है विवादों से नाता, इस बार पीएम की डाक्यूमेंट्री को लेकर मचा है हंगामा

जेएनयू एक बार फिर विवादों में हैं। जेएनयू का विवादों से लंबा नाता रहा है। कभी पाकिस्तान के समर्थन में मुशायरा तो कभी भारतीय जवानों की शहादत पर जश्न मनाने का आरोप यहां के छात्रों पर लगता रहा है।
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देश राजधानी दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित और चर्चित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार का विवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित एक विवादित डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन से जुड़ा है।  

पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद

मंगलवार 24 जनवरी की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी द्वारा बनाई गई प्रतिबंधित विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाने का प्रयास किया गया। जेएनयू छात्र संघ की ओर से डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया था। जबकि प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। जैसे ही बगैर अनुमति डॉक्यूमेंट्री दिखाने का मामला सामने आया तो प्रशासन छात्र संघ कार्यालय की ओर से  बिजली और इंटरनेट सेवा बंद करा दी गई। जिसे लेकर जेएनयू में जमकर बवाल हुआ। इसके खिलाफ जब छात्रों ने मार्च निकाला औऱ उन पर पत्थरबाजी की गई।

जेएनयू का विवादों से लंबा नाता

ये पहली बार नहीं है जब देश का प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान जेएनयू विवादों में है। जेएनयू का विवादों से लंबा नाता रहा है। कभी पाकिस्तान के समर्थन में मुशायरा तो कभी भारतीय जवानों की शहादत पर जश्न मनाने का आरोप यहां के छात्रों पर लगता रहा है।

इंदिरा गांधी के समय से करते हैं

1980 में जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी तब जेएनयू पहली बार विवादों में आया था, क्योंकि उस समय जेएनयू में वामपंथी संगठन और राइट विंग के छात्रों के बीच किसी बात को लेकर विवाद शुरू हो गया। ये विवाद इतना बढ़ गया कि 16 नवंबर 1980 से लेकर तीन जनवरी 1981 तक इसे बंद करना पड़ा था। इंदिरा गांधी ने खुद इसे बंद रखने के आदेश दिए थे।

2000 में पाकिस्तान के समर्थन में जेएनयू के अंदर मुशायरा कराने का आरोप

साल 2000 में जेएनयू के अंदर मुशायरे का आयोजन किया गाया था। इसमें कई गजलें पढ़ी गईं। आरोप है कि इस दौरान कई गजलें पाकिस्तान के समर्थन में भी पढ़ी गईं।तब वहां मौजूद सेना के दो जवानों ने इसका विरोध किया। इसपर मुशायरे का आयोजन करने वाले छात्र संगठन के नेताओं ने दोनों जवानों को बुरी तरह से पीट दिया।

ईरान पर प्रतिबंध का समर्थन करने पर पीएम मनमोहन का विरोध

साल 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जेएनयू कैंपस में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था। तब भारत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर प्रतिबंध के अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया था। जेएनयू कैंपस में छात्रों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कहा जाता है कि इस दौरान प्रधानमंत्री का रास्ता भी रोकने की भी कोशिश हुई थी।

देश विरोधी नारेबाजी का आरोप

साल 2016 में जेएनयू से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद सामने आया था। नौ फरवरी 2016 को कैंपस में 2001 में भारतीय संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की तीसरी बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा। आरोप तत्कालीन जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और तत्कालीन छात्रसंघ के सदस्य उमर खालिद पर लगा।

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