Iran-Israel Conflict: इजराइल जल रहा खुद पर हुए हमले की भावना से, ईरान को करारा जवाब देने को बेताब

इजराइल अपने ऊपर हुए हमले का हर हालत में जवाब देना चाहता है। उसको अमेरिका और दूसरे पार्टनर देशों की भी मदद चाहिए। ईरान पर हमले के लिए अमेरिका हरी झंडी नहीं दे रहा है।
Israel Prime Minister Benjamin Netanyahu
Israel Prime Minister Benjamin NetanyahuIsrael PM

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। इजराइल पर ईरान द्वारा किए गए हमले का जवाब कब और कैसे देना है, इसे लेकर फैसला आज लिया जा सकता है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अगुआई में इजराइली वार कैबिनेट एवं सुरक्षा कैबिनेट इस एजेंडे के साथ बैठक करने वाली है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि इस फैसले में केवल इजाइल की राय होगी, सहयोगी देशों के मशवरे को नहीं माना जाएगा। इजराइल दौरे पर आए ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों को भी इजराइली प्रधानमंत्री ने अपनी मंशा बता दी है।

ईरान पर हमले को लेकर इजराइल के लिए क्या है चुनौती?

इजराइल अपने ऊपर हुए हमले का हर हालत में जवाब देना चाहता है. ईरान पर हमले के लिए इजराइल को अमेरिका और दूसरे पार्टनर देशों की हर हालत में मदद चाहिए। ईरान और इजराइल के बीच 1500 किलोमीटर का फासला है। किसी भी तरह के हवाई हमले के लिए इजराइल को जॉर्डन, ईराक और सीरिया के हवाई क्षेत्र का भी इस्तेमाल करना होगा। ईरान ने 350 से अधिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया था तो इजराइल को जवाबी हमला इससे बड़ा और घातक करना होगा।

इजराइली हमले के लिए मध्य-पूर्व देशों में मौजूद अमेरिकी सैन्य बेस एवं रेड सी और आसपास मौजूद अमेरिका और पार्टनर देशों के एयरक्राफ्ट कैरियर की भी मदद चाहिए। इजराइली सेना ने हमले को लेकर कई तरह के विकल्प सरकार के सामने रखे हैं। अमेरिका को आशंका है कि इजराइली हमले को समर्थन देने से ईरान भड़केगा और फिर मध्य-पूर्व देशों में अमेरिकी बेस पर हमले का बहाना बनाएगा जिससे ना चाहते हुए भी जॉर्डन, सउदी अरब, कतर, इराक एवं दूसरे देशों को इस जंग में कूदना पड़ेगा।

दुविधा में इजराइल

13-14 अप्रैल को ईरान की 350 से अधिक मिसाइलों एवं ड्रोन हमले का जवाब देने के लिए इजराइली सरकार और सेना अपना मन बना चुकी है। इजराइल के सामने दोहरी समस्या है। एक तो ईरान पर हमले के लिए अमेरिका हरी झंडी नहीं दे रहा है, वहीं दूसरी ओर हिब्रू यूनिवर्सिटी के एक ओपिनियन पोल के मुताबिक 74 फीसदी लोगों का मानना है कि अगर इजराइल के सहयोगी देश तैयार नहीं है, तो इजराइल को ईरान पर हमला नहीं करना चाहिए।

लोगों ने ओपिनियन पोल में रखी राय

हिब्रू यूनिवर्सिटी के इस पोल में 1466 लोगों ने हिस्सा लिया था। केवल 26 फीसदी लोगों का मानना है कि इजराइल को हर कीमत पर ईरान को करारा जवाब देना चाहिए। 56 फीसदी लोग यह भी मानते हैं कि इजराइल को अपने पार्टनर देशों की राजनीतिक एवं रणनीतिक मांगों का सकारात्मक जवाब देना चाहिए। 12 फीसदी लोग अमेरिका और दूसरे पार्टनर देशों की चिंताओं की परवाह नहीं करने की बात कह रहे है। ओपिनियन पोल में भाग लेने वाले 32 फीसदी लोग ईरान पर हमले को लेकर यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि इजराइल और उसके पार्टनर देशों में से किसकी राय सही है।

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