ईरानः लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए पानी में मिलाया जा रहा है धीमा जहर, चौतरफा आलोचना

ईरान में स्‍कूल जाने वाली सैकड़ों लड़कियां रहस्‍यमयी बीमारी की चपेट में आ गई हैं. उन्‍हें सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ आ रही है।
ईरानः लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए पानी में मिलाया जा रहा है धीमा जहर, चौतरफा आलोचना

तेहरान, एजेंसी। ईरान में कट्टरवादियों ने लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए पानी में जहर मिलाने का शर्मनाक कृत्य किया है। ईरान के उप स्वास्थय मंत्री युनुस पनाही ने कुछ दिन पहले ही स्वीकार किया था कि कुछ लोग लड़कियों की शिक्षा रोकने के लिए उन्हें धीमा जहर देने का काम कर रहे हैं। खासकर ईरान के पवित्र माने जाने वाले कोम शहर में पिछले साल नवंबर से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें स्कूली लड़किया अचानक से बीमार पड़ने लगीं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। शुक्रवार को प्रकाशित अमेरिका के प्रमुख अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस वजह से ईरान के कम से कम 10 शहरों में 800 से अधिक स्कूली छात्राएं बीमार पड़ीं और उन्हें गंभीर शारीरिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है।


तीन महीने पहले घटना आई थी सामने
इस रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों के बीमार पड़ने की पहली घटना तीन महीने पहले कोम शहर में सामने आई थी। यह शहर तेहरान से लगभग 80 मील दक्षिण-पश्चिम में है। काफी समय तक सरकार इस घटना को खारिज करती रही। बीमार स्कूली छात्राओं की संख्या बढ़ने के बाद बुधवार को ईरान के उप स्वास्थय मंत्री ने सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार किया वहीं गृहमंत्री अहमद वाहिदी ने कहा कि इसकी जांच शुरू कर दी गई है।

इस घटना को लेकर महिलाओं ने किया विरोध

इस बारे में संसद की शिक्षा समिति के प्रमुख अलीरेजा मोनादी इस सप्ताह दावा कर चुके हैं कि ऐसा जानबूझकर किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस इस्लामिक गणराज्य में हाल के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व महिलाओं और लड़कियों ने किया है। कहा जा रहा है कि इसके बाद से महिलाओं, खासकर लड़कियों के खिलाफ कट्टरवादियों और उनकी सोच से प्रभावित लोगों ने एक खास रणनीति के तहत यह काम किया है। ईरान में लागू सख्त ड्रेस कोड की मुखालफत करने वाली महसा अमीन की 16 दिसम्बर को हुई मौत के बाद से इस तरह की घटनाएं तेजी से सामने आईं है। हांलाकि अभी केवल जांच ही हो रही है। न तो किसी की गिरफ्तारी हुई है और न ही सरकार किसी निष्कर्ष पर पहुंची है कि बच्चियों को बीमार करने के लिए कौन सा जहर दिया जा रहा है।

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