यमन-तेज़-होती-लड़ाई-के-बीच-संयम-शान्ति-व-सम्वाद-पर-ज़ोर
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यमन: तेज़ होती लड़ाई के बीच, संयम, शान्ति व सम्वाद पर ज़ोर

यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हान्स ग्रण्डबर्ग ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि देश, सैन्य गतिविधियों व संघर्ष में बढ़ोत्तरी के हालात में, एक बिखरे हुए व रक्तरंजित युद्ध के एक नए दौर से गुज़र रहा है. विशेष दूत ने कहा कि वैसे तो इस संघर्ष में शामिल तमाम पक्षों ने, मेरे साथ बातचीत में शान्ति की इच्छा व्यक्त की है, मगर उन सभी का ध्यान सैन्य विकल्पों पर टिका हुआ है... जिनसे टिकाऊ समाधानों के परिणाम हासिल नहीं हो सकते हैं. Grundberg to #UNSC:"The process should be designed to allow for parallel progress on different agenda items of importance to Yemenis. It'll address the parties’ priorities in the context of a broader agenda that represents diverse Yemeni interests." — @OSE_Yemen (@OSE_Yemen) December 14, 2021 युद्ध के नियम विशेष दूत हान्स ग्रण्डबर्ग ने गोले बरसाने वाली ज़मीनी तोपों, मिसाइलों और हवाई हमलों के बढ़ते इस्तेमाल पर चिन्ता व्यक्त की है जिनके कारण – आम लोगों, बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के लिये बहुत बड़ा जोखिम उत्पन्न हो गया है. उन्होंने स्थानीय सुरक्षा बलों के दस सदस्यों को आनन-फ़ानन में मृत्युदण्ड दिये जाने की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि युद्ध में भी हर हालत में नियमों के पालन किया जाना चाहिये. उन्होंने कहा, “संघर्ष से सम्बद्ध सभी पक्षों...की अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं” जिनमें आम नागरिकों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने और युद्धबन्दियों के साथ मानवीय बर्ताव करने की ज़िम्मेदारियाँ भी शामिल हैं. विशेष दूत हान्स ग्रण्डबर्ग ने कहा कि उन्होंने अपनी यह ज़िम्मेदारी शुरू करने के तीन महीनों के दौरान, यमन के लोगों के साथ सम्पर्क करके यह समझने की कोशिश की है कि मौजूदा तबाही को कैसे रोका जाए और राजनैतिक प्रक्रिया शुरू की जाए. उन्होंने कहा कि चूँकि संघर्ष और ज़्यादा सघन हो रहा है...मुझे पक्का यक़ीन है कि एक व्यापक नज़रिया अपनाए जाने की ज़रूरत है. टिकाऊ शान्ति विशेष दूत हान्स ग्रण्डबर्ग ने कहा कि एक व्यापक राजनैतिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिये, तात्कालिक ज़रूरतों और प्राथमिकताओं पर ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि एक न्यायसंगत और टिकाऊ शान्ति की दिशा में काम करने की ज़रूरत है, और केवल युद्ध की अनुपस्थिति से काम नहीं चलेगा. इसके लिये संयोजित अन्तरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय समर्थन की आवश्यकता है ताकि, यमन के लोगों के नेतृत्व में, और अन्तरराष्ट्रीय समर्थित एक ऐसी राजनैतिक प्रक्रिया शुरू की जा सके जिसके परिणामस्वरूप एक वृहद स्थिरता स्थापित हो. “इस परिषद का समर्थन भी बहुत महत्वपूर्ण है.” एक न्यायसंगत समाधान © UNHCR/Marie-Joëlle Jean-Char यमन के उत्तर में युद्ध गतिविधियों से बचने के लिये, हज़ारों आम लोग मारिब पहुँचे हैं. यूएन अधिकारी ने कहा कि विभिन्न पक्षों के साथ सम्पर्क साधने का काम पहले ही शुरू हो चुका है और इसमें ज़्यादा तेज़ी से काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि लड़ाई में तेज़ी होना वैसे तो एक गम्भीर चुनौती है मगर इसके कारण, सम्पर्क प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिये, दरअसल ऐसी परिस्थितियों में तो हमारा काम और भी ज़्यादा ज़रूरी व अहम हो जाता है. विशेष दूत हान्स ग्रण्डबर्ग ने कहा कि युद्धरत पक्ष अगर तत्काल अपने हथियार डालने के लिये तैयार नहीं भी हैं तो भी उन्हें बातचीत में तो शिरकत करनी चाहिये. उन्होंने तमाम पक्षों से, बिना किसी पूर्व शर्त के, और प्राथमिकता पर, सम्पर्क चैनल खोलने का आग्रह किया है. उन्होंने सुरक्षा परिषद से, यमन में इस लड़ाई का अन्ततः एक न्यायसंगत और टिकाऊ अन्त कराने की ख़ातिर, एक समावेशी, वृहद और व्यापक प्रक्रिया शुरू करने का आहवान किया है. हालात बद से बदतर संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के संयोजक रमेश राजसिंहम ने कहा कि यमन में लगातार युद्ध और आर्थिक पतन के कारण, मानवीय परिस्थितियाँ लगातार बद से बदतर हो रही हैं. उन्होंने बताया कि सघन होती लड़ाई और मोर्चे बदलते रहने के कारण, बहुत से आम लोगों को दो से तीन बार विस्थापित होना पड़ा है. IOM यमन के मारिब में एक विस्थापित परिवार, कुछ सामान अपने शिविर को ले जाते हुए. यूएन कर्मचारी बन्दी रमेश राजसिंहम ने यमन में पिछले महीने अंसार अल्लाह नामक गुट द्वारा बन्दी बनाए गए, संयुक्त राष्ट्र के दो कर्मचारियों को अभी तक हिरासत में रखे जाने पर चिन्ता भी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि गुट के नेतृत्व ने इन यूएन कर्मचारियों को जल्द ही रिहा करने का आश्वासन दिया था मगर उस पर अभी तक अमल नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि बन्दी बनाए गए कर्मचारियों से मिलने की इजाज़त भी नहीं दी गई है और ना ही उनके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी दी गई है. उन्होंने बन्दी बनाए गए यूएन कर्मचारियों के साथ मुलाक़ात करने की सुविधा दिये जाने और उनके ठिकाने के बारे में जानकारी तत्काल मुहैया कराए जाने का आग्रह किया है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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